पतंजलि के अनुसार ध्यान कैसे करें? (Patanjali‌ Meditation In Hindi)

पतंजलि के अनुसार ध्यान करने की कला सीखने के लिए आपको अपने अंदर की शांति को खोजने की जरूरत होगी, इस पोस्ट में हम शांत तरीके से पूरे फॉकस के साथ दिमाग को केंद्रित करने के बारे में गहराई तक जाकर ध्यान को समझेंगे।

A woman sitting a peaceful place in their home and doing meditation
patanjali meditation in hindi

तो बिना देरी किए ध्यान के गहन ज्ञान का पता लगाने और अपने अंदर मौजूद आंतरिक शांति को अनलॉक करने के लिए इस यात्रा में मेरे साथ शामिल हों। आइए पतंजलि के विश्वशनीय तरीको को जानना के लिए इस पथ पर एक साथ चलें।

स्थिर स्थान:

आपको सबसे पहले एक शांत और स्थिर स्थान चुनना होगा जहाँ आप बिना किसी प्रोब्लम के बैठ सकें, जहां आपको किसी भी तरह की परेशानी न हो।

आरामदायक आसन:

जब आपको एक शांत जगह मिल गई अब आरामदायक आसान बंपर गौर करें ऐसे आसन में बैठे जो आपके के लिए सुविधाजनक हो, उदाहरण: एक सुखासन या पद्मासन का इस्तेमाल करें जिससे आपके शरीर को स्थिर रहने में आसानी हो।

सही आसन:

पतंजलि के अनुसार, पद्मासन या सिद्धासन जैसे आसनों का चयन करना सबसे बेहतर माना जाता है क्योंकि यह आसन ध्यान के बीच में समस्या का कारण नहीं बनते।

सही ध्यान स्थिति:

यह भी सुनिश्चित करना जरूरी है कि आपकी सही स्थिति क्या होगी। तभी आप पूरी शांति के साथ बेहतर तरीके तरह से ध्यान कर पाएंगे, ऐसे में अपनी आंखें धीरे-धीरे बंद करें और मन को सय्यंम से भर लें

शांति और स्थिरता:

उसके बाद आपको अपने दिमाग में आ रहे विचारों को शांत करना है मानसिक शांति बनाए रखने के लिए मन को एक ध्यानित स्थिति में ले जाएं अर्थात अपने मन को या फोकस को एक जगह पर ही रखें और पिछले विचारों में नहीं बल्कि वर्तमान में रहने का प्रयास करें।

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प्राणायाम:

पतंजलि के अनुसार ध्यान करने के बाद कुछ समय तक प्राणायाम करने की आदत बनानी चाहिए कुछ समय तक अपनी सांसों को अंदर लेने और छोड़ने की प्रक्रिया करें जिसे प्राणायाम कहा जाता है यह ध्यान के फायदे को दोगुना कर देती है।

मंत्र जाप:

कोई शांति देने वाले मंत्र (जैसे ओम) का जप करके मन को संयमित रख सकते हैं और सांसों पर फोकस बनाए रखिए, इस तरह आप बिना ध्यान को भटकाए अपने अंदर की अपार शक्ति की अनुभूति कर सकते हैं।

समय का प्रबंधन:

अगर आप पतंजलि के अनुसार ध्यान विधि सीख रहे हैं तो समय और स्वच्छ जगह का प्रबंधन बहुत महत्वपूर्ण है यानी आपको रोज का एक टाइम टेबल सेट करना पड़ेगा, ध्यान के लिए नियमित समय निकालें और एक सही जगह चुनें, यह अभ्यास को स्थायी बनाए रखेगा।

अनुभूति का संवाद:

जैसा कि हम जानते हैं कि ध्यान आत्मा अनुभूति का एक महत्वपूर्ण ज्ञान है जो हमेशा हमें खुद की सच्चाई से रूबरू कराने में मदद करता है इसके अभ्यास से हम खुद को जान पाते हैं अपनी शक्ति को महसूस कर पाते हैं।

इसीलिए ध्यान के दौरान अपनी सांसों पर ध्यान केंद्रित रखें, और अपनी आत्मा की अंतर शक्ति को महसूस करने का प्रयास करें अपनी आत्मा की अंतर दृष्टि को महसूस करें।

ध्यान का समाप्ति:

ध्यान को कभी भी एकदम से बंद नहीं कर देना चाहिए ऐसा न करें कि आप ध्यान कर रहे हैं और आपको लगा कि समय पूरा हो गया, और अब आपने आंखें खोल दी और बस अपने काम में लग गए। इस तरह से ध्यान को समाप्त नहीं करना चाहिए इससे आपके स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ सकता है।

ध्यान को धीरे-धीरे समाप्त करें, सबसे पहले आपको अपनी आंखों को धीरे-धीरे खोलना है और इस स्थिति में कुछ देर के लिए एक से 2 मिनट के लिए बैठे रहना है उसके बाद अपने आसन को धीरे से खोलें और शांति के साथ ध्यान को समाप्त करें। ध्यान पूरा होने के बाद आपको कुछ समय तक मौन रहना चाहिए।

ध्यान को नियमित रूप से करना और इसे सब्र के साथ सीखना महत्वपूर्ण है। यह शांति और मानसिक समर्थ को बढ़ावा देता है।

निष्कर्ष

इस पोस्ट में आपने सीखा कि पतंजलि की ध्यान विधि कैसे करें? यह विधि न केवल शारीरिक स्वास्थ्य को बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य को भी सुधारने में मदद करती है। यह एक अद्वितीय अनुभव है जो आत्मा के संग संवाद (अपनी सच्चाई जानना) का एक सुंदर रास्ता दिखाता है।

Saniya Qureshi is a Health and Beauty writer, senior consultant and health educator with over 5 years of experience.

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