Vimal pan masala जैसे जहर का विज्ञापन क्यों कर रहे हैं Actors – सच्चाई समझिए

लोग इतना तंबाकू थूकते हैं कि पुराना लेकिन मजबूत हावड़ा ब्रिज कमजोर हो गया है। इतना थूकने के कारण इसका एक हिस्सा……सोनू सूद सहित पैसे लेकर राजनीतिक पार्टियों का प्रचार करने पर सहमत हो गए।

आईटीसी ने कांग्रेस को 20 करोड़, बीजेपी को 23 करोड़ रुपये दिए लेकिन हमारा हीरो आसानी से हमारे लोगों की जान दांव पर लगाने के लिए तैयार हो गया। Shahrukh Khan, Ajay Dewgan, Akshay Kumar – 3 बड़ी हस्तियां म्यूजिक सीडी में छोटी-छोटी चीजें जोड़ते और बड़ी करते रहते हैं।

Vimal pan masala जैसे जहर का विज्ञापन क्यों कर रहे हैं अभिनेता - सच्चाई समझिए
Vimal pan masala जैसे जहर का विज्ञापन क्यों कर रहे हैं अभिनेता – सच्चाई समझिए

लेकिन आप यह जानकारी हैरान रह जाएंगे कि सचिन तेंदुलकर ने बिना sponsored bat से विश्व कप खेला। दरअसल IPL में रॉयल चैलेंजर्स नाम से एक पूरी टीम बनाई गई, जिसमें तम्बाकू का एडवरटाइजिंग करना था लेकिन सचिन ने बिल्कुल मना कर दिया।

Vimal pan masala कि एडवरटाइजिंग के लिए कई लोग कोर्ट भी गए कि इस एडवरटाइजिंग में यह दिखाया जाता है कि बच्चे समझ सकें कि – अगर आपने vimal को मुंह में ले लिया तो पूरी दुनिया आपके कदमों में होगी।

हम पहले से ही जानते हैं कि तम्बाकू इंसानों के लिए कितना हानिकारक है हर साल 1.35 मिलियन लोग सिर्फ इस तंबाकू के सेवन के कारण अपनी जान गंवा देते हैं। यानी हर दिन- 3,699 और हर घंटे 154 मौतें।

सभी जानते हैं कि तम्बाकू समस्याएँ पैदा करता है। लेकिन उसके बाद भी 30% आबादी यानी 194 मिलियन लोग तंबाकू का सेवन करते हैं। दरअसल, भारत में धुआं रहित तंबाकू पर प्रतिबंध है लेकिन इसके बाद भी 21.4% वयस्क धुआं रहित तंबाकू का सेवन करते हैं। और इसकी वजह से हर साल 2 लाख से ज्यादा लोगों की जान चली जाती हैं।

और आप समझ सकते हैं कि एक baned चीज लोगों तक कैसे पहुंच सकती है और वह इस स्तर तक पहुंच जाती है कि लाखों की संख्या में लोग अपनी जान गंवा रहे हैं और ऐसा नहीं है ये कालाबाजारी के कारण पहुंच रहा है, छोटी-छोटी चालें चलकर, योजनाबद्ध तरीके से ऊपर से नीचे तक लोगों की जान जोखिम में डालकर यह सब खेल खेला जाता है।

जिसमें आपके पसंदीदा एक्टर से लेकर राजनेता तक सभी शामिल होते हैं ये तम्बाकू और सिगरेट कोई ऐसी चीज़ नहीं है जिसे लोग जन्म से सीखते हैं। लोग आसपास से सीखते हैं यदि कोई बच्चा है यदि वह नहीं जानता है, तो अपने पसंदीदा अभिनेता या खिलाड़ी को देखकर बच्चों के मन में बात आ जाती है कि ये चीजें भी मौजूद हैं। फिर, उसे लत लग जाती है।

अब, आप कहेंगे कि जिस विज्ञापन के बारे में आप बात कर रहे हैं वह पहले से ही टीवी पर Restricted है तो फिर आपका आज से क्या मतलब है। तो, आइए हम आपको सब कुछ समझाते हैं।

Vimal Pan Masala है क्या?

अगर नाम से समझे तो इसमें सिर्फ पान मसाला समझ आता है और ऐसा लगता है कि इसमें कोई भी तंबाकू नहीं मिलाया गया वही एडवरटाइजिंग में भी यही दिखाया जाता है कि इसमें केसर है और यह एक पान मसाला है।

जबकि Vimal Pan Masala एक खतरनाक प्रोडक्ट है विमल एक तंबाकू के पैकेट के साथ खाया जाता है जो इसी के साथ एक छोटा पैकेट आता है यानी विमल पान मसाला तंबाकू बेचने के लिए इस्तेमाल किया जाता है यह एक मौत का कारण बनने वाला उत्पाद है।

विमल पान मसाला के नुकसान (Vimal pan masala ke nuksan)

कैंसर (Cancer)

किसी भी तंबाकू उत्पाद के कारण होने वाली सबसे ज्यादा खतरनाक और सबसे ज्यादा मात्रा में देखी जाने वाली बीमारी कैंसर है आज के समय में गुटखा खाने वालों को सबसे ज्यादा मुंह का कैंसर देखा जा रहा है।

जो व्यक्ति गुटखा खा रहे हैं वह धीरे-धीरे अपने अंदर कैंसर पैदा कर रहे हैं गुटखा शरीर की कोशिकाओं को मार देता है और गली में गांठ बना देता है जिससे भूख का कैंसर पैदा होने लगता है हालांकि मुंह के कैंसर के अलावा भी बहुत सारे कैंसर से हो सकते हैं।

भूख न लगना।

विमल खाने से व्यक्ति की भूख मर जाती है क्योंकि विमल हमारे मस्तिष्क पर असर करता है दिमाग की नसों को शांत कर देता है और इसमें ऐसा केमिकल मिला होता है जो हमारे शरीर की कोशिकाओं को संतुष्टि प्रदान करता है कि अब खाने की जरूरत नहीं है।

आपने देखा होगा ज्यादातर मजदूर गुटका मुंह में डाले रखते हैं और अपना काम करते रहते हैं केवल पुरुष ही नहीं महिलाएं भी जो मजदूरी करती हैं गुटखा खाती हैं क्योंकि उन्हें लगता है गुटखा खाने से उनमें हिम्मत आती है और अपना काम ज्यादा कर पाते हैं।

होता यह है कि गुटखा खाने से उनका दिमाग शांत हो जाता है और उनको भूख नहीं लगती उन्हें लगता है कि वह अब ज्यादा काम कर सकते हैं जबकि सच्चाई है कि वह अपने आप को बीमारी की ओर धकेल रहे हैं।

मुहं छोटा होने लगता है

जो लोग गुटखा खाते हैं फिर चाहे वह Vimal Pan Masala हो रजनीगंधा हो या अन्य किसी भी तरह का गुटका उनके मुंह का फैलाव काम हो जाता है मुंह की कोशिकाएं सिकुड़ जाती हैं जिससे उनका मुंह छोटा लगने लगता है।

दांत कमजोर हो जाते हैं

जो भी लोग गुटखा खाते हैं उन्हें धीरे-धीरे की आदत लग जाती है और वह फिर अपने दिन में खाना खाएं या ना खाएं लेकिन उन्हें गुटखा जरूर चाहिए ऐसे में उनके दांत पीले हो जाते हैं और दांतों में कमजोरी आ जाती है।

गुटखा खाने वालों के दांत सब जाते हैं उनसे बदबू आने लगती है वह कुछ ही दिनों में बिल्कुल खत्म हो जाते हैं फिर चाहे ऐसे लोग कितना भी दातुन करने कितने भी टूथपेस्ट उसे कर लें उन्हें अपने दांतों की पहले जैसी स्थिति नहीं मिल पाती।

नींद में कमी आती है

गुटखा खाने की वजह से व्यक्ति के अंदर बेचैनी का अनुभव ज्यादा होता है ऐसे में वह रात को ठीक से नींद पूरी नहीं कर पाते और नींद पूरी न होने की वजह से भी उनके स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ जाती हैं।

गुस्सा बढ़ जाता है।

जो लोग गुटका सेवन करते हैं उनमें देखा गया है कि उन्हें ज्यादा गुस्सा आता है वह एकदम बातों पर भड़क जाते हैं और छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा करने लगते हैं।

चिड़चिड़ापन

गुटखा खाने वाले लोगों में अधिक चिड़चिड़ापन हो जाते हैं वह किसी भी तरह की बातों पर प्रतिक्रिया करने के लिए चिड़चिड़ा व्यवहार ही करते हैं अपनी बातों को सही से शांति के साथ नहीं बता पाते।

अधिक पसीना आना

गुटखा खाने वाले लोगों को ज्यादा पसीना आता है तुलनात्मक रूप से जो लोग गुटका नहीं खाते।

चिंता

अक्सर आपने भी सुना होगा जो लोग गुटका बीड़ी सिगरेट शराब पीते हैं वह कहते हैं कि हमें चिंता होती है इसीलिए हम यह सब काम करते हैं जिस दिन हमारी चिंता खत्म हो गई हम इन चीजों को छोड़ देंगे।

जबकि यही चीज है चिंता का सबसे बड़ा कारण होती हैं जो लोग इन सभी चीजों का सेवन करते हैं उन्हें बहुत ज्यादा चिंता होती है वह छोटी-छोटी बातों पर परेशान हो जाते हैं स्ट्रेस लेने लगते हैं।

डिप्रेशन

गुटखा का सेवन करने से व्यक्ति डिप्रेशन में भी जा सकता है क्योंकि गुटका उसे अंदर से खोखला कर देता है उसके मानसिक स्वास्थ्य को खराब कर देता है जिससे वह सही समझ विकसित नहीं कर पाता और डिप्रेशन का शिकार हो जाता है।

असंतोष

गुटखा खाने की वजह से व्यक्ति में संतुष्टि की भावना नहीं रहती वह किसी भी चीज से पूरी तरह से संतुष्टि प्राप्त नहीं कर पाता।

घुटन महसूस होना

क्योंकि गुटका शरीर के सेल्स को मार देता है जिसकी वजह से फेफड़े भी खराब हो जाते हैं ऐसे में व्यक्ति को सांस लेना मुश्किल लगने लगता है और उसे खुद के अंदर घुटन महसूस होती है।

सिर दर्द

गुटखा खाने की वजह से सिर दर्द रहने की परेशानी एक सामान्य समस्या है जो लोग गुटखा खाते हैं उन्हें अक्सर से दर्द की परेशानी बनी रहती है।

कब्ज रहना

कब्ज रहना भी गुटके का एक साइड इफेक्ट है बहुत लोग आज के समय में कब्ज की परेशानी को झेलते हैं जिसका बड़ा कारण गुटका बीड़ी शराब और नशीले पदार्थ है हैं।

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Vimal pan masala चलाए जा रहे विज्ञापन

देखिए, पहले ये बड़े-बड़े सेलिब्रिटी टीवी पर सार्वजनिक रूप से तंबाकू, शराब का विज्ञापन करते थे लेकिन साल 1986 और 1990 में WHO ने एक प्रस्ताव पारित किया जिसमें कहा गया – हर देश को तंबाकू के खिलाफ कार्रवाई करनी होगी और उन्हें अलग-अलग कदम उठाने होंगे।

तो, भारत ने भी इसमें Signature किए थे लेकिन भारत ने जो किया वह था भारत में केबल टेलीविजन नेटवर्क, यह एक विनियमन अधिनियम, 1995 था – इसका मतलब यह था जिसमें भारत केबल नेटवर्क (जो पहले सार्वजनिक रूप से शराब और सिगरेट का विज्ञापन किया जाता था) पर प्रतिबंध लगा दिया गया था।

लेकिन उसके बाद भी छोटे-छोटे तरीके से जो खेल खेलते हुए इन तम्बाकू युक्त पदार्थ और हानिकारक मौत का कारण बनने वाले चीजों का विज्ञापन जारी रखा गया। अब जो लोग सिगरेट पीते थे उनके बारे में बात भी नहीं करेंगे उनकी आबादी पहले ही बढ़ चुकी थी।

लेकिन किए गए अध्ययन के मुताबिक 13 लाख लोग ऐसे थे जो सिगरेट पीने वाले लोगों के साथ खड़े थे जो लोग निष्क्रिय धूम्रपान करते थे वे हर साल जान गंवा रहे थे सोचिए जो सिगरेट पीने वाले के पास खड़े थे उनकी हेल्थ पर इतना असर होता है तो सिगरेट पीने वालों पर क्या प्रभाव होता होगा।

अधिनियम क्या कहते हैं?

24 मिलियन लोग विकलांग हो गये। वे धूम्रपान नहीं कर रहे थे लेकिन सिगरेट पीने वालों के साथ खड़े थे। वे निष्क्रिय धूम्रपान करने वाले थे और ये एक बहुत बड़ी संख्या थी जिससे भारत सरकार को ये समझ आया कि उन्हें और कदम उठाने की जरूरत है और फिर, इस क्षेत्र में सुधार के लिए COTPA अधिनियम पेश किया गया।

जो था सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पाद अधिनियम और इसे लागू करने के बाद नियमों में बड़े बदलाव किए गए – जैसे, सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान करने पर प्रतिबंध लगा दिया गया क्योंकि निष्क्रिय धूम्रपान भी मौतों का कारण बनता है। और बताया गया कि शिक्षण संस्थानों के 100 गज के दायरे में लोग तंबाकू उत्पाद नहीं बेच सकते हैं।

जो लोग 18 वर्ष से कम उम्र के थे उन्हें इन सभी का उपयोग करने की अनुमति नहीं थी। इस एक्ट के आने के बाद सबसे बड़ा झटका यह लगा कि छोटे-छोटे विज्ञापन जो अलग-अलग तरीके से चल रहे थे उन पर, क्योंकि उन पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया गया।

मूल रूप से इस एक्ट के बाद – कंपनियों के पास विज्ञापन के लिए दो विकल्प थे एक तो अपना काम बंद करना और दूसरा ऐसा तरीका ढूंढना जिससे उनका काम भी चला रहे और कोई दिक्कत भी ना आए।

हालांकि ऐसे विज्ञापन सभी जगहें बंद कर दिए गए। तब कंपनियों ने सेरोगेट एडवरटाइजिंग का विकल्प चुनाव जिस पर अधिनियम के द्वारा किसी भी उत्पाद पर प्रतिबन्ध नहीं लगाया गया।

क्योंकि इसमें तंबाकू का नहीं बल्कि इलायची सौंप केसर आदि का एडवरटाइजिंग दिखाया गया है इसके बारे में कोई भी कानून नहीं है और यह चीज स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक भी नहीं होती लेकिन उनके पीछे एक काला सच है इनके आड़ में कंपनियां तंबाकू बेचती हैं।

जिसके लिए बड़े-बड़े अभिनेता और राजनेता जैसे अजय देवगन शाहरुख खान अक्षय कुमार, सलमान खान, अमिताभ बच्चन, रितिक रोशन, अनुष्का शर्मा, प्रियंका चोपड़ा ऐसी बहुत बड़े-बड़े नाम है जो इस तरह के एडवरटाइजिंग करते हैं।

इनको आपने एडवर्टाइज करते हुए देखा होगा टीवी पर जैसे Anushka Sharma ने रजनीगंधा का एडवरटाइजिंग किया था रणवीर सिंह और अमिताभ बच्चन कमला पसंद और अजय देवगन शाहरुख खान अक्षय कुमार Vimal का ऐड करते हैं और यह अपनी सफाई में सिर्फ इतना कहते हैं कि हमने इलायची का ऐड किया है तंबाकू का नहीं।

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विज्ञापनों के नियम बनें

विज्ञापनों को लेकर अलग-अलग नियम बनाये गये लेकिन किसी भी उत्पाद पर प्रतिबन्ध नहीं लगाया गया। अब, वर्ष 2011 आता है जहां एक उत्पाद पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। और इस पर प्रतिबंध कैसे लगाया गया।

यह समझाने के लिए, मुझे आपको पान मसाला की संरचना समझानी होगी। तो, पान हमेशा से भारत की संस्कृति रही है जिसमें सामान्य सुपारी, गुलकंद, इलाइची शामिल है जिसका सेवन लोग सदियों से करते आ रहे हैं।

अब जब तकनीक आई तो इस पान को निर्जलित कर दिया गया – यानी इसे सुखा दिया गया और इसे एक पैकेट में बंद करके बेचा जाने लगा जिसे पान मसाला कहा जाता था। और जब ये पान मसाला खूब बिकने लगा तो इसे लत बनाने के लिए इसमें प्रोसेस्ड तंबाकू का इस्तेमाल किया जाने लगा जिसे गुटखा कहा जाता था।

कहीं-कहीं इसे पुरी, पुरकी भी कहा जाता है। और गुटखा के इस पैकेट को लंबे समय तक बनाए रखने के लिए – ताकि यह बर्बाद न हो, इसमें बहुत सारे विभिन्न रसायनों का उपयोग किया गया था। इसकी लत लगाने के लिए इसमें अन्य चीजों के साथ मैग्नीशियम का इस्तेमाल किया गया था।

इसमें 40 से अधिक ऐसे पदार्थ पाए गए जो कैंसर के लिए जिम्मेदार थे और यह सिगरेट की तुलना में अधिक खतरनाक था क्योंकि गुटखा सीधे मुंह के माध्यम से लाया जाता था। तो, कैंसर के तत्व सीधे आपके पेट में प्रवेश कर रहे थे।

इसलिए भारत में मुंह के कैंसर ने रिकॉर्ड तोड़ना शुरू कर दिया। यानी भारत में होने वाले सभी मुंह के कैंसर में से 90 फीसदी कैंसर गुटखा के कारण होता है तो, इसे देखते हुए सरकार ने संघीय खाद्य और सुरक्षा अधिनियम पेश किया जिसके अनुसार तंबाकू का उपयोग किसी भी खाद्य पदार्थ में नहीं किया जाएगा।

तो एक तरह से तम्बाकू पर प्रतिबंध लगा दिया गया क्योंकि गुटखा पान मसाले में तम्बाकू मिलाकर बनाया जाता था। लेकिन पान मसाला को FSSAI में खाद्य पदार्थ के रूप में पंजीकृत किया गया था. और इसे जो लाइसेंस मिला था वह भी भोजन के तौर पर था।

अतः इस अधिनियम के लागू होने के बाद पान मसाला तो बेचा जा सकता था लेकिन जो तम्बाकू मिश्रित गुटखा बेचा जाता था उस पर प्रतिबंध लगा दिया गया। तो, मेरे कहने का मतलब यह है कि – 2011 में, भारत के 24 राज्यों और 3 केंद्र शासित प्रदेशों में गुटखा पर प्रतिबंध लगा दिया गया था।

इस पर प्रतिबंध लगवाने में महाराष्ट्र के पूर्व सीएम शरद पवार ने अहम भूमिका निभाई क्योंकि गुटखा खाने से उन्हें खुद कैंसर हो गया था और उनके मुंह की सर्जरी भी हुई थी तब उन्होंने इस पर प्रतिबंध लगाने के लिए संसद में आवाज उठाई।

क्योंकि हम सभी जानते हैं कि – गुटखा, सिगरेट लोगों के लिए बहुत बुरी चीज है लेकिन लत इतनी बुरी चीज है कि आप आसानी से इससे छुटकारा नहीं पा सकते। आपको दृढ़ इच्छाशक्ति की जरूरत है और इसके लिए प्रेरित रहने की जरूरत है।

इसलिए, भारत में नियम लागू था लेकिन इन तंबाकू कंपनियों का बाजार अगर मैं आपको 2022 के बारे में बताऊं तो यह 43,410.2 करोड़ का था। और इतने पैसे वाले लोगों के लिए कोई नियम मौजूद नहीं हैं। उन्होंने दुनिया के सर्वश्रेष्ठ दिमागों को बुलाया और अलग-अलग तरकीबें अपनाईं।

सबसे पहले, उन्होंने सभी नीति निर्माताओं और सरकारी अधिकारियों के बीच प्रवेश करना शुरू कर दिया क्योंकि, वे जानते थे कि सरकारी लोगों को साथ लिए बिना वे समाधान नहीं निकाल सकते। उन्होंने राजनीतिक दलों के साथ करोड़ों का financing किया।

वास्तव में तंबाकू कंपनियों में शेयर सरकार के थे। इसके बारे में सबूत के भी पर भी नजर डालेंगे, लेकिन उससे पहले इस पर चर्चा कर लेते हैं सबसे पहले सभी तम्बाकू कंपनियाँ इस तम्बाकू अधिनियम के विरुद्ध न्यायालय में अपील करने गयीं।

लेकिन जब वे संतुष्ट नहीं हो सके तो उन्होंने दूसरा रास्ता ढूंढ लिया उन्होंने पान मसाला का एक ट्विन पैक पेश किया और तम्बाकू यानी पान मसाला को अलग तरह से और तम्बाकू को अलग तरह से प्रसंस्कृत किया और व्यवसाय शुरू किया।

यानी पहले जो गुटखा खाता था, वो पान मसाला का पैकेट खरीदेगा, फिर प्रोसेस्ड तंबाकू खरीदेगा और दोनों को मिलाकर वही उत्पाद बनाएगा जो पहले से ही प्रतिबंधित है। उदाहरण के लिए, जो मारुति गुटखा पहले बेचा जाता था, अब वह मारुति पान मसाला के रूप में बेचा जाता था और इसके साथ ही मारुति तंबाकू या जर्दा – दो पैकेट के रूप में बेचा जाता था।

पहले इसे एक पैकेट में बेचा जाता था अब इसे दो पैकेट में बेचा जाता है। और लोग इन दोनों को मिलाकर इसका सेवन करने लगे। और इसी तरह, हर कंपनी ने अपने ब्रांड को विभाजित कर दिया। जैसे आपको शिखर गुटखा, शिकार पान मसाला मिलेगा, वैसे ही आपको शिखर फिल्टर खैनी, शिखर सामान्य तंबाकू भी मिलेगा।

इस तरह, ब्रांड ने अपने उत्पादों को विभाजित कर दिया। इसलिए, जिस उत्पाद पर प्रतिबंध लगा दिया गया, यानी जिस गुटखे पर प्रतिबंध लगा दिया गया, उसे बेचने का तरीका तो उन्होंने ढूंढ लिया लेकिन उसके विज्ञापन का तरीका उन्हें अभी तक नहीं मिला था।

क्योंकि जब तक वे विज्ञापन नहीं करेंगे जब तक उत्पाद लोगों तक पहुंचेगा ही नहीं, तो बिकेगा कैसे। तो, इसके समाधान में वे सरोगेट विज्ञापन अवधारणा लेकर आए। तो गुटखा, सिगरेट, शराब सब बंद हो गया।

तो उन्होंने गुटखा जैसी ही पैकेजिंग बनाई, रंग बनाया, स्टाइल बनाया लेकिन उन्होंने गुटखा की जगह सिर्फ सुपारी लिख दिया या इलाइची लिखना शुरू कर दिया इसी तरह वे अलग-अलग चीजें लिखने लगे और उसका विज्ञापन करने लगे।

इसी तरह शराब कंपनियों ने भी उनकी नकल की और सोडा के समान नाम से इसका विज्ञापन करना शुरू कर दिया। कुछ ने संगीत-सीडी में विज्ञापन भी शुरू कर दिया।

आपने वह विज्ञापन देखा होगा जो बहुत प्रसिद्ध है मेन विल बी मेन इंपीरियल ब्लू म्यूजिक सीडी क्या किसी ने कभी वह सीडी खरीदी या क्या किसी ने कभी उस सीडी के गाने सुने? दरअसल, वो सीडी कहीं दिखी नहीं – उसे कोई खरीद नहीं सका – सिर्फ उसका विज्ञापन ही देखा जा सका। ताकि, मुख्य product को सुर्खियों में लाया जा सके।

आज भी फ्लिपकार्ट, अमेज़न पर – सोल्ड आउट का टैग लगा हुआ है, इमेज लगाई जा रही है लेकिन आप उसे खरीद नहीं सकते क्योंकि दरअसल, बिना जाहिर किए वे अपना शराब का विज्ञापन करना चाहते हैं।

मेन विल बी मेन’ विज्ञापन ने सभी को बांधे रखा, लेकिन यह विज्ञापन किस उत्पाद का था – इस तर्क पर सभी असमंजस में हैं। कोई भी उस उत्पाद को कभी नहीं खरीद सका इसी तरह, ‘502 पटाखा’ – जो एक बहुत लोकप्रिय ‘बीड़ी’ ब्रांड है। ‘502 पटाखा टी’ से अपना प्रचार करना शुरू कर दिया।

इसी तरह ‘एरिस्टोक्रेट’ व्हिस्की जो उसके स्थान पर बनाई गई थी उन्होंने ‘एरिस्टोक्रेट एप्पल जूस’ के नाम से विज्ञापन बनाना शुरू कर दिया, इसलिए ‘एरिस्टोक्रेट व्हिस्की’ जूस के अलावा सभी को याद है ‘अरिस्टोक्रेट’ किसी ने नहीं पिया।

इसलिए, करोड़ों रुपये निवेश करके उन्होंने विज्ञापन बनाए और ऐसे उत्पादों का विज्ञापन किया जो बाजार में थे ही नहीं या उपलब्ध ही नहीं थे और ये सब इसलिए किया गया ताकि उनके मुख्य तम्बाकू, शराब को बढ़ावा दिया जा सके।

और जब कोई शराब की दुकान पर जाता है तो उसे ऐसे नाम कहने चाहिए, एरिस्टोक्रेट, इंपीरियल ब्लू इसी तरह, रॉयल चैलेंज स्पोर्ट्स ड्रिंक – जिसका विज्ञापन विराट कोहली करते हैं, आपको वह भी खरीदने को नहीं मिलेगा।

IPL में रॉयल चैलेंजर्स नाम से एक पूरी टीम बनाई गई थी कुछ लोगों ने इसके ख़िलाफ़ कोर्ट में अपील की कि वे एक शराब के नाम पर एक टीम बना रहे हैं इससे शराब को बहुत बढ़ावा मिलेगा लेकिन वे कोर्ट में केस हार गए क्योंकि टीम के नाम में एक अतिरिक्त ‘एस’ जोड़ दिया गया।

रॉयल चैलेंजर को रॉयल चैलेंजर्स बना दिया गया। अगर आप चाहते हैं कि कोई उत्पाद कम समय में ज्यादा ध्यान खींचे तो कंपनियां इसके लिए मशहूर हस्तियों को पकड़ती हैं। तो, तंबाकू कंपनियों ने भी ऐसा ही किया। उन्होंने बड़ी-बड़ी हस्तियों को पैसे दिए।

अब आम तौर पर हीरो वही होता है जो लोगों को बचाता है लेकिन हमारे हीरो तो आसानी से अपने लोगों की जान जोखिम में डालने के लिए तैयार हो जाते हैं। पैसे के लिए। 2021 में, रणवीर सिंह और अमिताभ बच्चन कमला पसंद एलियाची के समर्थन के लिए सहमत हुए।

2022 में शारुख खान, अजय देवगन और अक्षय कुमार – 3 बड़ी हस्तियां एक साथ Vimal Pan Masala के विज्ञापन के लिए राजी हो गईं। उन्होंने पूरे विज्ञापन में एलियाची का नाम तक नहीं लिया बस साइड में लिखा था एलियाची म्यूजिक सीडी में इसका क्या मतलब है – छोटे जोड़ते रहो और बड़ा करते जाओ।

आपने समझा ऐसा बार-बार क्यों कहा जा रहा है? छोटे-छोटे जोड़ते रहो और बड़ा करोवास्तव में!ध्यान से देखें तो बहुत भ्रम पैदा होता है लोगों को एक खराब पदार्थ की अच्छाइयां समझे जा रही है जबकि उसमें कोई भी अच्छी बात नहीं है बल्कि जानलेवा प्रोडक्ट है।

बच्चा एलियाची मांगते समय तंबाकू भी मांग सकता है या गलती से तंबाकू खा भी सकता है यदि आप दुकानदार के पास जाएंगे, तो पैकेट पंक्तिबद्ध हैं और यह बहुत भ्रमित करने वाला है।

एक वयस्क को 10 बार पूछना पड़ता है क्या इसमें तंबाकू मिलाया गया है? अगर किसी वयस्क को ऐसी समस्या का सामना करना पड़ रहा है तो एक बच्चा इन विज्ञापनों को देखकर और भी अधिक भ्रमित हो सकता है।

प्रियंका चोपड़ा को संयुक्त राष्ट्र में बाल अधिकार और किशोर स्वास्थ्य का राजदूत बनाया गया। लेकिन इसके बाद भी उन्होंने रजनीगंधा का ऐड किया रजनीगंधा भारत के दो बड़े मशहूर जर्दा ब्रांड हैं। यह बनाता है तुलसी और बाबा।

यह टीचर्स भी बनाता है जो एक बड़ा व्हिस्की ब्रांड है। अब प्रियंका चोपड़ा ने दोनों ऐड किए – ब्लेंडर्स प्राइड का ऐड आलिया भट्ट ने किया। वे अपना बचाव करते हैं कि वे गुटखा या शराब का विज्ञापन नहीं कर रहे हैं, बल्कि एलियाची और सोडा का विज्ञापन कर रहे हैं।

लेकिन कोई कैसे विश्वास कर सकता है कि उन्हें नहीं पता कि विज्ञापन किस उत्पाद का है। इसी तरह, पान बहार के विज्ञापन में टाइगर श्राफ, महेश बाबू राज श्री एलियाची के लिए सलमान खान, सिग्नेचर एलियाची में रितिक रोशन, चैनी चैनी में मलायका अरोड़ा – फिर संजय दत्त, अनुष्का शर्मा, मनोज बाजपेयी ये सभी नाम आपको मिल जाएंगे।

कार्तिक आर्यन ने 15 करोड़ की डील ठुकरा दी, उन्होंने कहा कि वह ऐसे विज्ञापन नहीं करेंगे लेकिन जब उनकी जेब ढीली हुई तो उन्होंने जैकलीन फर्नांडीज के साथ – मैजिक मोमेंट्स का विज्ञापन किया जिसमें बोतल तक दिखाई गई।

यानी शराब की बोतल दिखाई गई लेकिन फिर उसे धुंधला कर दिया गया यह है हमारे हीरो जिन्हें पूरे देश की जनता ने उन्हें स्टार बना दिया लेकिन बदले में वे भारत के बच्चों के लिए कैंसर फैलाने की तैयारी कर रहे हैं।

अगर आपके घर में कोई छोटा भाई है, या कोई छोटा बच्चा है तो अगर आप उसे किसी ऐसे दोस्त के साथ देखते हैं जो धूम्रपान करता है, शराब पीता है, जुआ खेलता है तो आप उसे डांटते हैं कि उसके साथ मत घूमो। क्योंकि आप जानते हैं कि जब तक उसे पता नहीं चलेगा तो लत कैसे लगेगी इन चीजों में कैसे फंसेगा।

इसलिए आप उससे कहें कि वह उनसे दूर रहे लेकिन इतना सब करने के बाद भी आप तुरंत टीवी पर इन हीरो के विज्ञापन दिखाएं ताकि बच्चा समझ जाए कि अगर उसने रजनीगंधा का सेवन किया तो पूरी दुनिया उसके पैरों तले हो जाएगी।

और ऐसा नहीं है वे केवल गुटखा का विज्ञापन करते हैं या केवल शराब का, वे जुआ भी खेलते हैं आप उन्हें उन ऐप्स के विज्ञापन करते देखेंगे जो जुआ कराते हैं जैसे कि तीन पत्ती, यह तब है जब उनके पास पहले से ही बहुत पैसा है अब, उस समय के बारे में सोचो जब वे गरीब होते तो उस स्थिति में वे किन बातों पर सहमत होते केवल ईश्वर ही जानता है।

लेकिन अगर आपने कोबरा पोस्ट का स्टिंग ऑपरेशन देखा है तो उसमें सोनू सूद समेत 36 सेलिब्रिटी पैसे लेकर राजनीतिक पार्टियों का प्रचार करने को तैयार हो गए वे सभी क्लिप अभी भी यूट्यूब पर हैं – अवश्य देखें। इमरान हाशमी – 2013 में एक शराब ब्रांड के 4 करोड़ के ऑफर को ठुकरा दिया था। लेकिन आज की तारीख में अगर आप कह सकते हैं कि वह असली हीरो हैं।

फिर बात यह है कि सचिन तेंदुलकर ने अपने 32 साल के सार्वजनिक जीवन और 24 साल के क्रिकेट करियर में कभी सरोगेट विज्ञापन नहीं किया सभी गुटखा कंपनियों ने उन्हें लुभावने पैसे की पेशकश की लेकिन सचिन ने कभी ऐसा नहीं किया।

1996 का क्रिकेट विश्व कप, उस समय बीसीसीआई अमीर नहीं था इसलिए क्रिकेटरों के पास इतना पैसा भी नहीं था, इसलिए, विल्स एक सिगरेट कंपनी है जिसने पूरे विश्व कप को प्रायोजित किया लेकिन आप चौंक जाएंगे कि सचिन ने खेला उस विश्व कप में एक गैर प्रायोजित बल्ले के साथ।

आप अभी भी देखेंगे कि – उस बल्ले पर स्टिकर नहीं है लेकिन अन्य सभी खिलाड़ी विज्ञापन के लिए सहमत थे। यूबी ग्रुप ने उन्हें 20 करोड़ का ऑफर दिया था लेकिन सचिन तंदुलकर ने इसे एक सेकंड में ठुकरा दिया।

आईपीएल में भी जब खिलाड़ी वार्षिक विज्ञापनों से अपना हिस्सा ले रहे थे तब सचिन ने सरोगेट विज्ञापन करने से आने वाले ऐसे पैसे में हिस्सा लेने से परहेज किया।

जब आप फिल्मों में सिगरेट को देखते हैं सिगरेट कंपनियां योजनाबद्ध तरीके से विज्ञापन देती हैं और ऐसा क्यों करते हैं फरवरी 2003 में WHO ने एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी जिसमें बताया गया था कि 1991 से 2002 के बीच 76% भारतीय फिल्मों में तंबाकू के विज्ञापन दिखाए गए थे। अब, अगर हम 2005 की बात करें तो 89% फिल्में ऐसी थीं जो फिल्मों में तंबाकू और सिगरेट को बढ़ावा देती थीं।

सोसायटी फॉर न्यूरोसाइंस रिसर्च ने 17 लोगों पर प्रयोग किया जिनमें से 17 धूम्रपान करने वालों और 17 गैर-धूम्रपान करने वालों के पास functional mri एफएमआरआई था – और उन्हें फिल्में दिखाई गईं

जब 17 धूम्रपान करने वालों के parietal lobe में धूम्रपान के दृश्यों को देखने पर मस्तिष्क की भारी गतिविधियाँ देखी जा सकती थीं। ऐसा इसलिए क्योंकि 89% से ज्यादा फिल्मों में तंबाकू के दृश्य होते हैं। जिसके कारण जो लोग तंबाकू छोड़ना चाहते हैं फिर भी वे दोबारा धूम्रपान करना शुरू कर देते हैं।

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विमल खाना छोड़ने के फायदे | Vimal chodne ke fayde

जीवन में खुशहाली

जो लोग विमल खाना छोड़ देते हैं उनके शरीर में बीमारियां होने की संभावना कम हो जाती है और वह खुशहाली से अपना जीवन जी सकते हैं बिना इस डर के कि उन्हें कैंसर जैसी बड़ी बीमारी हो सकती है।

दांत स्वस्थ रहेंगे

यदि आप गुटखा खाना छोड़ देते हैं तो आपके दांतों कल स्वास्थ्य सुधारने लगता है दांतों में होने वाली समस्याएं ठीक होने लगते हैं और दोबारा से आपके दांत मजबूत और स्वस्थ बना सकते हैं।

कैंसर से बच सकते हैं

क्योंकि Vimal Pan Masala या कोई भी गुटखा शरीर के अंदर जाकर कोशिकाओं को मार देते हैं जिसके कारण कैंसर होने का बहुत ज्यादा खतरा बढ़ जाता है तो इन्हें छोड़कर आप कैंसर होने के खतरे से बच सकते हैं।

चिंता नहीं होती

जो लोग गुटका पान बीड़ी जैसे नशीले पदार्थों का सेवन करते हैं उन्हें चिंता ज्यादा होती है यदि आप इन्हें सेवन करना छोड़ देते हैं तो आपकी चिंता करने की स्थिति में भी कमी आएगी।

गुस्सा कम हो जाता है

नशीले पदार्थ खाने वाले लोगों को अक्सर गुस्सा ज्यादा आता है तो यदि आप नशीली चीजों का सेवन करना बंद कर देते हैं तो आप अपने गुस्से पर काबू पा सकते हैं।

पैसों की बर्बादी नहीं होती

गुटखा खाने के लिए बहुत ज्यादा पैसों की जरूरत होती है रोजाना एक व्यक्ति कम से कम 100 रुपए से ₹200 तक के गुटके खा लेता ऐसे में यदि कोई व्यक्ति गुटखा छोड़ता है तो वह महीने के लगभग ₹10000 बर्बाद होने से बचा सकता है।

बीमारियों से बचा रह सकती हैं

कमला पसंद हो या Vimal Pan Masala या इसके अलावा कोई भी गुटका हो सभी तरह के गुटके बीमारियां पैदा करते हैं शरीर के अंदर तरह-तरह के रोग इनके कारण पनपने लगते हैं तो आप इन्हें छोड़कर बीमारियों के खतरे से बच सकते हैं।

Saniya Qureshi is a Health and Beauty writer, senior consultant and health educator with over 5 years of experience.

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