Muscular Dystrophy बच्चों में होने वाला रोग है यह मुख्य रूप से लड़कों में होता है इस रोग से पीड़ित मरीजों के लिए अभी तक कोई इलाज नहीं था केवल रोकथाम के लिए उपचार किया जाता था।
रिसर्च बताती है Muscular Dystrophy के 99% रोगी 13 से 23 साल के बीच फेफड़े फेल हो जाने या हृदय समस्या की वजह से मर जाते हैं।

लेकिन एम्स के डॉक्टर ने बताया है कि अब इसका इलाज संभव है चलिए जानते हैं क्या है Muscular Dystrophy का सटीक इलाज।
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Muscular dystrophy का सटीक इलाज।
दरअसल दिल्ली के एम्स अस्पताल में 2 मरीज जो muscular dystrophy से ग्रसित थे के स्वास्थ्य में काफी सुधार आया है जिसका कारण वहां के डॉक्टर बी एस राजपूत ने स्टेम सेल थेरेपी को बताया।
डॉक्टर राजपूत (स्टेम सेल ट्रांसप्लांट सर्जन) ने कहा कि जमुई के रहने वाले दो सगे भाई 10 सालों से उनके अस्पताल में इलाज करा रहे हैं और उनके इलाज के लिए Stem cell therapy का उपयोग किया जा रहा था।
उन्होंने बताया कि यह दोनों भाई 10 सालों से अपना इलाज करा रहे हैं और इनके स्वास्थ्य में तेजी से सुधार हुआ है।
हालांकि इस बीमारी से ग्रसित लोग 13 से 23 साल के बीच मौत के शिकार हो जाते हैं।
लेकिन यह दोनों भाई 25 साल से ऊपर की उम्र के हो चुके हैं और इनके स्वास्थ्य में इस थेरेपी के इलाज से बहुत सुधार देखने को मिला है।
चलिए बात करते हैं स्टेम सेल थेरेपी क्या है?
स्टेम सेल थेरेपी बोन मैरो द्वारा की जाने वाली थेरेपी है इसमें विधि में मरीज के बोन मैरो के अनुसार उन्हें बोन मैरो दिया जाता है।
डॉक्टर का कहना है कि अब हॉस्पिटल्स में स्टेम सेल थेरेपी की सुविधा मरीजों को दी जाएगी जिसमें हर हफ्ते चिकित्सक सेवा करेंगे।
Muscular dystrophy के अन्य संभावित उपचार क्या हैं?
मस्कुलर डिस्ट्रॉफी के लिए डॉक्टर द्वारा बताए गए अन्य संभावित उपचार यह हैं:
भौतिक चिकित्सा :
भौतिक चिकित्सा में प्राकृतिक रूप से मस्कुलर डिस्ट्रॉफी का उपचार किया जाता है इसमें मांसपेशियों के टूटने की गति को नियंत्रित करने पर ध्यान दिया जाता है।
दवाएं :
डिफ्लैजकोर्ट और कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स दवाई मस्कुलर डिस्ट्रॉफी के मरीजों के लक्षणों को नियंत्रित करने के लिए उपयोग की जाती है।
यह दवाइयां मांसपेशियों के टूटने की दर को कम करती है और स्थाई रूप से इस समस्या का इलाज इन दवाओं के द्वारा किया जा सकता है।
पेसमेकर :
जिन मरीजों की दिल की मांसपेशियां इस बीमारी से प्रभावित होती हैं और उनकी दिल की धड़कन की कार्य क्षमता पर अधिक प्रभाव पड़ता है।
तो ऐसे में पेसमेकर लगाकर मरीज की हृदय धड़कन की सामान्य लय को नियंत्रित करने के लिए सुनिश्चित किया जाता है।
सर्जरी :
मस्कुलर डिस्ट्रॉफी की कुछ स्थिति ऐसी होती है जिसमें डॉक्टर को सर्जरी का फैसला लेना पड़ता है जिससे मरीज की स्थिति को काबू किया जा सके।
मनोवैज्ञानिक व आहार चिकित्सा :
यह इलाज एमडी के उन मरीजों को दिया जाता है जिनके मोटापे को नियंत्रित और मानसिक तनाव को कम करना होता है।
क्योंकि मस्कुलर डिस्ट्रॉफी रोग में मोटापा बढ़ने की संभावना रहती है जिससे मांसपेशियों पर जोर बढ़ता है और कमजोरी आती है।
स्प्लिंट्स :
इस उपचार विधि में टूटी हुई मांसपेशियों को सहारा देने के लिए विशेष उपकरणों का उपयोग किया जाता है।
Muscular dystrophy क्या है यह कैसे और क्यों होता है?
Muscular Dystrophy का मतलब होता है शारीरिक शक्ति में कमी अर्थात शरीर में शक्ति हीनता।

दूसरे शब्दों में इस रोग को पेशीय दूर्विकास होना भी कहा जा सकता है यह अनुवांशिक अक्षमता होती है।
कई तरह के पेशीय दुर्विकास हो सकते हैं कुछ जन्म के समय ही दिखाई दे जाते हैं जिन्हें जन्मजात पेशीय दूर्विकास कहा जाता है।
इस समस्या के लक्षण बचपन में ही दिखाई देने लगते हैं यदि इसका इलाज समय पर ना किया जाए तो यह व्यक्ति को चलने फिरने में असमर्थ बना देता है और शरीर को लकवा से ग्रस्त कर देता है।
हिंदुस्तान में मस्कुलर डिस्ट्रॉफी के मरीज लाखों की संख्या में है यह बीमारी उत्तर प्रदेश के उत्तर पूर्वी शहरों में ज्यादा फैल रही है।
इसका असर आजमगढ़, जौनपुर जैसे इलाकों पर ज्यादा है इन जगह पर यह बीमारी महामारी की तरह फैली हुई है।
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Muscular dystrophy के लिए कौन से टेस्ट कराएं?
शारीरिक परीक्षा –
यदि कुछ मरीजों को मस्कुलर डिस्ट्रॉफी के लक्षण दिखते हैं तो उन्हें डॉक्टर से उनका विश्लेषण कराना चाहिए।
डॉक्टर रोगी को जांचने के लिए शारीरिक जांच करके पता लगाता है कि क्या व्यक्ति वास्तव में इस रोग से ग्रसित है या नहीं।
इसके लिए चिकित्सक अनुवांशिक इतिहास के बारे में जानकारी लेते हैं और पूछताछ करते हैं कि आपको किस प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है
नैदानिक परीक्षण –
नीचे संभावित परीक्षण हैं जो चिकित्सक सुझा सकते हैं:
इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (ईसीजी): इस परीक्षण में दिल की धड़कन का टेस्ट होता है जिससे यह पता चलता है कि हृदय की मांसपेशियों की क्या स्थिति है।
स्नायु बायोप्सी : यह टेस्ट माइक्रोस्कोप के माध्यम से किया जाता है जिसमें मांसपेशियों की जांच होती है।
इलेक्ट्रोमायोग्राम : जब मरीज की मांसपेशियों के बारे में जानकारी लेनी होती है तो डॉक्टर इलेक्ट्रोमायोग्राम परीक्षण का सहारा लेते हैं।
इस टेस्ट में मांसपेशियों के ऊतकों के टूट-फूट के बारे में जानकारी ली जाती हैं।
रक्त परीक्षण : इस टेस्ट के माध्यम से चिकित्सक मांसपेशियों के एंजाइमों के स्तर को मापते हैं।
आनुवंशिक रक्त परीक्षण : जब चिकित्सक अनुवांशिक इतिहास के बारे में जानकारी जानना चाहते हैं तो वह रक्त परीक्षण करके मूल्यांकन करते हैं।
Muscular dystrophy (मस्कुलर डिस्ट्रॉफी) कितने प्रकार के होते हैं?
1. डचेन एमडी.
डचेन एमडी लड़कों में होने वाली समस्या है यह बीमारी सामान्यता 5 साल की उम्र से होती है और लगभग 11, 12 साल की उम्र में बच्चे अपाहिज हो जाते हैं।
और जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है 18 से 20 साल की उम्र में उन्हें सांस लेने के लिए ऑक्सीजन पंप की जरूरत होती है।
अगर मरीज का सटीक इलाज ना किया जाए और उनको सही ट्रीटमेंट के साथ एक अच्छी देखभाल व खानपान ना मिले तो 23 साल की उम्र तक उनकी मौत भी हो सकती है।
2. फेसिओस्कैपुलोह्यूमेरल एमडी।
फेसिओस्कैपुलोह्यूमेरल एमडी किशोरावस्था में होने वाली समस्या है यह अधिकतर चेहरे और हाथों की मांसपेशियों में कमजोरी होने से शुरू होती है और धीरे-धीरे बढ़ती जाती है।
इसमें व्यक्ति का शरीर कुपोषित दिखाई देता है हाथ पैर और हड्डियां बिल्कुल कमजोर हो जाती है शरीर में शक्ति नहीं रहती।
इन लक्षणों के देखने के साथ-साथ व्यक्ति धीरे-धीरे ऐसी स्थिति में पहुंच जाता है जहां वह कोई काम करने में समर्थ नहीं रहता और विकलांगता की स्थिति में पहुंच जाता है।
3. मायोटोनिक एमडी।
मस्कुलर डिस्ट्रॉफी कि यह समस्या हर व्यक्ति में अलग-अलग उम्र में दिखाई देती है यह उंगलियों और चेहरों की मांसपेशियों की कमजोरी से शुरू होती है।
इसके लक्षण मुख्य रूप से दिल की समस्याओं आंखों में देखने की क्षमता में कमी जैसी परेशानियों से उभरते हैं।
4. लिम्ब-गर्डल मस्कुलर डिस्ट्रॉफी।
यह कंधों और कूल्हों की मांसपेशियों में पैदा होता है यह रोग औरतों और पुरुष दोनों में ही हो सकता है इसका मुख्य कारण अनुवांशिकता ही है।
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Muscular dystrophy (मस्कुलर डिस्ट्रॉफी) के लक्षण।
मस्कुलर डिस्ट्रॉफी की बीमारी के मुख्य लक्षण निम्नलिखित दिखते देते हैं।
• सीढ़ियों पर चढ़ने में परेशानी होना।
• कूदने और उछलने में समस्या।
• लड़खड़ाते कदम।
• जोड़ों में दर्द।
• आसानी से हड्डियों का टूटना।
• पैर में दर्द।
• शरीर में कमजोरी महसूस होना।
• मोतियाबिंद या आंखों में कमजोरी।
• फेफड़ों से संबंधित बीमारी।
• रीड की हड्डी का मुड़ जाना।
• हाथों में ताकत ना रहना।
• कुपोषण।
• शरीर में पीलापन।
• पंजों के बल चलना।
• हृदय रोग।
• सांस लेने में समस्या।
सजगता का नुकसान।
• वजन बढ़ना।
• हड्डियों का पतला होना।
• ख़राब मुद्रा।
इस रोग से ग्रसित मरीजों के लक्षण भिन्न होते हैं कुछ लोगों को अलग तरह के लक्षण दिखाई देते हैं जबकि अन्य को अलग प्रकार के।
Muscular dystrophy (मस्कुलर डिस्ट्रॉफी) के कारण।
मस्कुलर डिस्ट्रॉफी रोग का सबसे आम कारण अनुवांशिकी है मुख्य रूप से यह रोग शरीर में डिस्ट्रॉफिन प्रोटीन को बनाने वाले जीन की खराबी की वजह से होता है।
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