बाईपास सर्जरी के नुकसान (bypass Surgery ke 13 nuksan)

बाईपास सर्जरी दिल की धमनियों (धमनियां वे रक्त वाहिकाएं होती हैं, जो हृदय से रक्त को आगे पहुंचाती हैं।) की सर्जरी या हृदय की समस्याओं को ठीक करने के लिए की जा सकती है दिल की गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं के लिए ही bypass surgery होती है।

bypass surgery ke nuksan
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लेकिन इस सर्जरी के साथ ही इसके संबंध में कुछ महत्वपूर्ण नुकसान भी जुड़े होते हैं। इस पोस्ट में, हम बाईपास सर्जरी के नुकसानों के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे, ताकि आप इस हृदय उपचार के प्रति समझदारी हासिल कर सकें।

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बाईपास सर्जरी क्या है?

हमारे देश यानी भारत में लगभग 15% लोग दिल की बीमारियों से ग्रसित है विशेषकर कोरोनरी हृदय रोग यानी दिल की नसों में ब्लॉकेज अधिकतर लोगों में पाया जाता है और यह समस्या यदि बढ़ जाती है तो रोगियों को कई तरह की अन्य समस्याएं हो सकती है जैसे सीने में तेज दर्द, दिल की धड़कन का बढ़ जाना या अचानक से हार्ट अटैक आना।

तो इसके लिए जरूरी है कि दिल की सभी नसों को जो ब्लॉकेज हो चुकी है खोलने के लिए उपचार किया जाए, इसके लिए जो सबसे महत्वपूर्ण उपचार है वह है bypass surgery यह तकनीक दिल की ब्लॉक नसों को खोलने के लिए की जाती है।

बाईपास सर्जरी कब होती है?

यदि किसी को – हृदय की मुख्य धमनी (बाएं मुख्य धमनी) में रुकावट होती है या एक या दो धमनियों में दो रुकावट होती है। तो यह उपचार किया जाता है।

यह कैसे किया जाता है?

Bypass surgery सर्जरी सामान्यतौर पर 5-6 घंटों के लगभग पूरी हो जाती है। जिसे करने के लिए एनेस्थीसिया का उपयोग करने के बाद, सर्जन रोगी के छाती के सामने के हिस्से को खोलता है (सीने के बाईं ओर कट लगाकर भी यह सर्जरी की जा सकती है)। धमनियों में रक्त की आपूर्ति करने के लिए नए चैनल बनाए जाते हैं जसके लिए छाती, बांह या नस की धमनियों का उपयोग किया जाता है।

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बाईपास सर्जरी के नुकसान (bypass Surgery ke nuksan)

Bypass surgery के कुछ नुकसान शामिल हो सकते हैं:

1) आपातकालीन संकट:

इस सर्जरी के दौरान दिल पर आपातकालीन संकट आ सकता है जिसमें व्यक्ति की धड़कन बढ़ाना या घटना रक्त में कमी होना या किसी तरह का इन्फेक्शन जैसी समस्याएं हो सकती हैं।

2) सर्जरी के दौरान और बाद में रक्त लोस:

सर्जरी करने के दौरान या उसके बाद बहुत ज्यादा ब्लड लॉस भी इसका एक साइड इफेक्ट होता है क्योंकि यह सर्जरी ब्लॉक नस को खोलने के लिए की जाती है तो जब नस खोलने की प्रक्रिया होती है तो इस दौरान रक्त ज्यादा बह सकता है।

या कुछ लोगों को सर्जरी के बाद भी ब्लड लॉस होता है जो चिंता का कारण बन जाता है जिसके लिए बहुत लोगों को ब्लड की जरूरत भी पड़ती है उन्हें ब्लड लॉस की पूर्ति के लिए अलग से ब्लड चढ़वाना पड़ता है।

3) सर्जरी के बाद दर्द:

सर्जरी के बाद रोगियों को दिल में दर्द जैसी समस्या हो सकती है उसके लिए डॉक्टर दर्द निवारक दवाइयां देते हैं लेकिन फिर भी कुछ लोगों को दर्द की शिकायत रह सकती है।

यह दर्द कितने दिन में ठीक होगा इसके बारे में डॉक्टर ठीक से जानकारी दे पाएंगे क्योंकि आपकी स्थिति के अनुसार ही आपका दर्द रहता है यदि आपको बहुत गंभीर समस्या थी तो दर्द भी तेज हो सकता है और कम समस्या में यह दर्द कुछ समय के लिए होता है।

4) सूजन:

चिरायुक्त क्षेत्र में सूजन आ सकती है इसका मतलब है जब सर्जरी की जाती है तो सर्जन जिस जगह कट लगते हैं bypass surgery पूरी होने के बाद वहां पर सूजन आने की समस्या हो सकती है यदि ऐसा होता है तो तुरंत डॉक्टर से बात करें उसका इलाज कराएं, नहीं तो यह गंभीर रूप भी ले सकता है।

5) अस्थायी रूप से ब्लड सेल्स कमी:

सर्जरी के बाद रोगी में ब्लड सेल्स की कमी हो सकती है जिसमें लाल रक्त कोशिकाएं और सफेद रक्त कोशिकाएं दोनों में से किसी एक में कमी हो सकती है या फिर दोनों में भी कमी पाई जा सकती है जिसकी पूर्ति के लिए डॉक्टर से सही डाइट प्लान पूछें।

6) आदतों में परिवर्तन:

आपको आदतों में परिवर्तन करने की आवश्यकता हो सकती है, जैसे कि आहार और व्यायाम की संख्या को बढ़ाना क्योंकि bypass surgery करने के बाद शरीर में कमजोरी आ जाती है तो फिर से रिकवरी के लिए सही डाइट और व्यायाम की जरूरत होती है।

7) आसपास की रक्त वाहिकाओं में समस्याएँ:

बाईपास सर्जरी करने के दौरान दिल के आसपास की अन्य वाहिकाओं में समस्याएं हो सकती हैं, हां लेकिन हो सकता है यह तुरंत ना दिखें पर समय के साथ-साथ महसूस होने लगते हैं जिसके लिए डॉक्टर की परामर्श लेना बहुत आवश्यक होता है ताकि इन्फेक्शन ना हो।

8) प्रतिक्रिया और एलर्जी:

Bypass surgery के बाद रोगियों को एलर्जी होने की समस्या होना एक सामान्य स्थिति है लेकिन ऐसा तभी होता है यदि आप अपना ख्याल नहीं रखते सही दवाई और हेल्दी डाइट फॉलो नहीं करते तो एलर्जी हो सकती है।

9) साइकोलॉजिकल प्रभाव:

किसी भी तरह की सर्जरी के बाद मरीज की मानसिक स्थिति पर प्रभाव पड़ता ही है लेकिन दिल की सर्जरी करने के बाद यह विशेष रूप से हो सकता है जिसमें व्यक्ति को बहुत ज्यादा स्ट्रेस और डिप्रेशन जैसी समस्या भी हो जाती है इससे बचने के लिए समय-समय पर चेकअप और सही उपचार की जरूरत होती है।

10) स्टर्नम के टूटने का खतरा हो सकता है:

ओपन हार्ट सर्जरी करने के समय स्टर्नम जिसे ब्रेस्टबोन भी कहा जाता है (सीने में आगे की ओर स्थित होती है।) के टूटने का खतरा हो सकता है जो सर्जरी के दौरान परमानेंट रूप से हृदय का पुनर्निर्माण करने के लिए खुला किया जाता है।

11) धमनियों की कठिनाइयों के कारण शीर्षक क्षमता में गिरावट हो सकती है:

यदि धमनियां अर्थात दिल की नसों में ज्यादा प्रॉब्लम होती है तो ऐसे में सर्जन की कार्य क्षमता में भी गिरावट देखी जा सकती है क्योंकि गंभीर समस्या को संभालने के लिए सही तकनीक लगाने और संयम रखने की आवश्यकता होती है वह भी दिल के इलाज में जो की बहुत नाजुक मामला होता है।

12) सिरों के बनावटी प्रतिक्रिया:

बाईपास सर्जरी करने के बाद दिल की धमनियों अर्थात नसों की बनावट में बदलाव हो सकता है क्योंकि bypass surgery में उपयोग किए गए औजार और दवाइयां व अन्य कारणों की वजह से धमनियों पर प्रभाव पड़ सकता है जिसकी वजह से उनकी बनावट भी बदल सकती है।

लेकिन घबराने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि ऐसा बहुत कम पाया जाता है यदि आपको इस तरह का कोई भी साइड इफेक्ट नजर आता है तो तुरंत डॉक्टर से बात करें।

बल्कि जब तक आपको अपने दिल की सर्जरी करने के बाद पूरी तरह से तसल्ली नहीं हो जाती, की आपको अब किसी भी तरह से समस्या नहीं है दर्द नहीं होता और आप आसानी से अपने सभी कार्य कर लेते हैं तब तक डॉक्टर की निगरानी में पूरा उपचार लें।

13) साइड इफेक्ट्स – सर्जरी के बाद, चक्कर आना, मतली होना:

बाईपास सर्जरी करने के बाद मरीज को तत्काल और दीर्घकालीन समय के लिए इस तरह के साइड इफेक्ट भी हो सकते हैं जिसमें उन्हें चक्कर आ सकता है बार-बार उल्टी रहने की शिकायत हो सकती है।

वैसे तो यह सामान्य माने जाते हैं लेकिन यदि लंबे समय तक बन रहे तो डॉक्टर से बात करना बहुत आवश्यक होता है इसके लिए भी आपको पूरा उपचार करने की आवश्यकता पड़ सकती है।

इसके क्या लाभ हैं और ये कितने समय तक चलते हैं?

बाईपास सर्जरी करवाने के कुछ फायदे यह हैं:

• बाईपास सर्जरी करवाने के बाद हृदय की कार्य क्षमता में सुधार आता है।

• दिल का दौरा आने की संभावना कम हो जाती है जिससे व्यक्ति की जीवन अवधि बढ़ जाती है।

• बाईपास सर्जरी कितनी सफल होगी यह इस बात पर निर्भर करता है कि रोगी सर्जरी के बाद निश्चित रूप से दवाई ले रहा है और डॉक्टर के सभी निर्देशों का पालन कर रहा है या नहीं।

• इसके लाभ लेने के लिए कुछ बातों का भी ध्यान रखना पड़ेगा जैसे धुम्रपान न करें स्वस्थ खान-पान करें कुछ समय के लिए दिन में व्यायाम भी करें इस तरह से देखभाल करने पर इसके मिलने वाले फायदे लंबे समय तक रहते हैं।

• बाईपास सर्जरी का लाभ 10-15 वर्षों तक रह सकता है।  

अस्पताल में कितने समय तक रहना है?

यह सर्जरी होने के बाद मरीज को कुछ घंटे के लिए वेंटिलेटर पर रखने के बाद 5 से 6 घंटे में वेंटिलेटर से हटा लिया जाता है।

उसके बाद लगभग 2 से 3 दिन आईसीयू में रखा जाता है जिसमें मरीज को सामान्य भोजन देने की अनुमति नहीं दी जाती उसे हल्का-फुल्का अस्पताल में दिया जाने वाला भोजन खाने की सलाह दी जाती है।

2 से 3 दिन के बाद मरीज को चलने फिरने की आज्ञा मिलती है औरलेकिन पूरी तरह से रिकवर होने के लिए लगभग 15 से 30 दिन का समय लग सकता है।

कुछ ही घंटों में मरीज को वेंटीलेटर से हटाया जा सकता है। आईसीयू में रहने की अवधि आमतौर पर दो दिन होती है और मरीजों को सामान्य आहार लेने की अनुमति होती है। इसके अलावा, मरीज को दूसरे दिन से धीरे-धीरे चलने की अनुमति दी जाती है, लेकिन ठीक होने में लगभग 3-4 सप्ताह लगते हैं जिसके बाद मरीज काम पर लौट सकते हैं।

अंतिम विचार:

बाईपास सर्जरी के नुकसान की चर्चा यह साबित करती है कि यह स्वास्थ्य सुधारने के लिए एक महत्वपूर्ण सर्जरी है, लेकिन इसमें जोखिम और नुकसान भी हो सकते हैं। यह बहुत जरूरी है कि बाईपास सर्जरी के लिए डॉक्टर की सलाह ली जाए और विचार किया जाए कि क्या यह वाकई आवश्यक है।

स्वस्थ जीवनशैली और नियमित चिकित्सकीय जांच करना भी महत्वपूर्ण है ताकि दिल स्वास्थ्य को बेहतर बनाने का प्रयास किया जा सके और बाईपास सर्जरी की आवश्यकता कम हो सके।

Saniya Qureshi is a Health and Beauty writer, senior consultant and health educator with over 5 years of experience.

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