Teenagers problem and Solutions in hindi : किशोरावस्था वह स्थिति है जब व्यक्ति में बहुत तेजी से विकास होता है इस अवस्था में बालक वयस्कता की ओर बढ़ते हैं इस उम्र में लड़के और लड़कियां युवक की तरह दिखने लगते हैं।
यह ऐसी अवस्था है जब किशोर कल्पनाशील जीवन जीता है और उसमें बहुत कुछ करने का जज्बा होता है लेकिन अभी तक उसमें पूरी तरह से परिपक्वता नहीं आती जिस वजह से वह अपने लिए निर्णय लेने में पूरी तरह सक्षम नहीं होता।
इस अवस्था में व्यक्ति खुद को स्पेशल मानता है और दूसरों से विशेष व्यवहार करने की उम्मीद रखता है अगर कोई उससे ठीक व्यावहार नहीं करता तो वह खुद को Underestimate करने लगता है।
किशोरावस्था क्या है?/What is teenage.
यह बालपन से व्यस्क होने के बीच की अवधि है इस अवस्था में teenagers को बहुत सारी समस्याओं का सामना करना पड़ता है जिसकी वजह से उनकी हेल्थ को नुकसान पहुंचता है।

इस अवस्था में किशोरों को मानसिक और शारीरिक तनाव रहता है क्योंकि इस वक्त उनके शरीर में बहुत सारे हार्मोनल चेंजिज होते हैं जो बहुत तेजी से होते हैं जिसे किशोर/किशोरी समझ नहीं पाते और तनावग्रस्त रहते हैं।
किशोरावस्था की विशेषताएं।
1.शारीरिक विशेषताएं –
• इस उम्र में ऊंचाई और वजन तथा हड्डियां का बढ़ना लगभग पूरा हो जाता है।
• व्यक्ति में धैर्य रखने की भावना विकसित हो जाती है।
• मांसपेशियों का विकास चरम सीमा पर होता है।
• लड़कियों में मासिक धर्म और लड़कों में स्वपन दोष शुरू हो जाता है।
• चेहरे पर मुंहासे आने लगते हैं।
• आत्म जागरूकता बढ़ती है जो किशोरों को तनाव में ले जाती है।
• किशोरावस्था में लड़कों तथा लड़कियों दोनों में ही जनन तंत्र का विकास होता है।
• लड़कियों की आवाज सुरीली और लड़कों की आवाज भारी हो जाती है।
इस अवस्था में किशोरों को अपने इन बदलावों को समझने की क्षमता नहीं होती जिस वजह से वह बहुत ज्यादा बेचैन और चिंतित रहने लगते हैं और अपने बदलावों को समझ नहीं पाते।
2.मानसिक विशेषताएं –
• किशोरावस्था में केवल शारीरिक विकास ही नहीं बल्कि मानसिक विकास भी बहुत तेजी से होता है।
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• किशोर मानसिक तनाव, चिंता ज्यादा महसूस करते हैं क्योंकि इस समय उनकी आकांक्षाएं बहुत ज्यादा होती हैं।
• इस उम्र में किशोरों में आलोचना करना, निर्णय लेना, अपने विचार रखना और अपने आदर्शों को बनाना इन सभी योग्यताओं का विकास होता है।
• यह बता इस तरह की होती है जब व्यक्ति अपनी भावनाओं को बहुत जल्दी कंट्रोल नहीं कर पाता, इसीलिए उसका व्यवहार आकर्मक हो जाता है।
3.भावनात्मक विशेषताएं –
• इस उम्र में किशोरों को छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा आ जाता है बिना किसी बात को समझे ही किशोर आकर्मक हो जाते हैं और किसी भी बात के लिए अपना दृष्टिकोण बिना समझे रख देते हैं।

• किशोरावस्था में व्यक्ति की मनोस्थित बहुत जल्दी बदलती रहती है एक पल किशोर बहुत खुश महसूस करता है तो दूसरे ही पर बहुत ज्यादा उदासी में चला जाता है।
• इस उम्र में किशोर अपना मनचाहा काम बहुत उत्साह के साथ करता है।
• इस एज में किशोरों का दूसरे व्यक्ति के साथ लगाव होना आम बात है जिसे Crush कहते हैं जो आमतौर पर गंभीर भावनात्मक रूप ले लेता है।
• किशोर इस उम्र में सब जानना चाहता है वह हर उस चीज को जानने की कोशिश करता है जो उसे नहीं पता, जिससे उसे लगता है कि उसे फायदा होगा।
• किशोर इस अवस्था में पहले की अपेक्षा कम डरने लगते हैं उनमें डर की भावना कम हो जाती है।
4.सामाजिक विशेषताएं –
• किशोर अपने परिवार की अपेक्षा अपने मित्रों पर ज्यादा विश्वास करते हैं।
• अगर किसी काम को परिवार या समाज किशोरों को मना करता है तो किशोर उनके खिलाफ रवैया करने लगते हैं।
• इस अवस्था में किशोरों में गलत आदतें भी पनपने लगती है जैसे नशा करना।
• यह वह उम्र होती है जब किशोर opposite gender की तरफ आकर्षण महसूस करते है और एक अच्छे जीवन साथी की छवि बनाने लगते हैं।
• इस अवस्था में किशोर हमेशा ऐसा काम करना चाहता है जिससे उसकी तारीफ हो और समाज में उसका नाम बने।
किशोरावस्था की समस्याएं। Teenage Problems.
किशोरावस्था मे मानसिक, सामाजिक, शारीरिक, भावनात्मक परिवर्तन बहुत जल्दी और तेजी से होते हैं जिस वजह से किशोर खुद को समस्याओं में गिरा हुआ महसूस करता है।
वह खुद को अलग और अटपटा सा फील करता है जिस वजह से उसके अंदर चिंता डर और गुस्से की भावना आने लगती हैं।

लेकिन यही वह समय भी है जब किशोर विषमलिंगियों के प्रति आकर्षण महसूस करता है अपनी लाइफ के लिए खुद निर्णय लेना चाहता है और खुद को समाज में बेहतर तरीके से दिखाना चाहता है।
अगर किशोरों को सही प्रकार से ना समझाया जाए, उनकी समस्याओं का समाधान न बताया जाए तथा उन्हें सही ज्ञान ना मिले तो वह बहुत सारी समस्याओं का शिकार बन सकते हैं।
किशोरों की निम्नलिखित समस्याएं होती हैं।
1.कैरियर चुनने की समस्या।
किशोर इस समय अपने माता पिता के अनुसार कैरियर का चयन नहीं करना चाहता। इस वक्त उसमें कैरियर चुनने की पूरी समझ नही होती, इसीलिए वह इसे अपने लिए चुनौतीपूर्ण मानता है और अपने फैसलों का चुनाव खुद करना चाहता है तथा अपने लिए केरियर खुद चुनना चाहता है।
2.आक्रामकता और क्रोध।
इस उम्र में किशोर बहुत ज्यादा आक्रमक व्यवहार करना शुरू कर देते हैं बहुत जल्दी चिड़चिड़े हो जाते हैं गुस्सा करने लगते हैं किसी भी काम को मना कर देते हैं और खुद को एक हीरो की तरह दिखाने का प्रयास करते हैं।
3.समझने की क्षमता में कमी।
किशोरों में समझने की क्षमता पूरी तरह से परिपक्व नहीं होती। इसीलिए वह किसी भी चीज को सही से समझने का प्रयास नहीं करते और अपने फैसले खुद बनाना पसंद करते हैं।
अपने जीवन में आई समस्याओं को समझौता करके निपटारा नहीं करना चाहते हैं बल्कि अपने तरीके से उसे सुलझाना पसंद करते हैं कई बार ऐसे में कुछ किशोर परिवार से भी अलग वातावरण चाहता है।
4.केवल खुद को महत्व देता है।
यह अवस्था इस तरह की होती है जब किशोर सिर्फ खुद को महत्वपूर्ण मानता है वह सोचता है कि उसे ही सम्मान मिलना चाहिए फिर चाहे घर से हो या फिर बाहर के लोगों से।
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लेकिन माता-पिता किशोर के इस व्यवहार को गंभीर रूप से लेने लगते हैं जिस वजह से किशोर की भावनाएं आहत होती है और वह खुद को महत्वहीन समझने लगता है।
5.शारीरिक बदलाव।
यह लड़कों और लड़कियों दोनों के ही लिए चुनौतीपूर्ण उम्र होती है क्योंकि इस समय दोनों के शारीरिक मानसिक रूप से इतने सारे बदलाव होते हैं जिन्हें समझने में उन्हें समय लगता है इसी वजह से किशोर बिना किसी कारण के चिंता में रहते हैं।
किशोरों की समस्याओं का क्या समाधान है।Teenagers problem and Solutions in hindi
• अच्छा व्यवहार करें।
अक्सर माता-पिता किशोरों को समझने में विफल हो जाते हैं उन्हें लगता है कि किशोर उनकी बात नहीं मान रहे हैं जिद्दी हो गए हैं जिस वजह से माता-पिता उनके लिए कड़े फैसले लेने लगते हैं।

जबकि यह ऐसी उम्र है जब माता-पिता को अपने बच्चों को समझने की जरूरत है और उनके साथ सहानुभूतिपूर्ण व्यवहार करने की जरूरत है ताकि किशोर अपनी प्रॉब्लम्स अपने पैरंट्स से शेयर करें और पेरेंट्स उनको सही ही सुझाव दें।
• स्वतंत्रता।
इस उम्र में किशोरों को स्वतंत्रता की जरूरत होती है ताकि वह अपनी भावनात्मक समस्याओं को खुलकर बता पाए। क्योंकि उनमें अभी बहुत सारे बदलाव हो रहे होते हैं तो उनका मूड भी बार-बार चेंज होता रहता है इसीलिए जरूरी है कि उनको इतनी आजादी हो कि वह अपनी जिंदगी को स्वतंत्र महसूस करें।
इसके लिए पेरेंट्स को सबसे ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है क्योंकि पेरेंट्स इस अवस्था में बच्चों को समझने में बहुत ज्यादा मदद नहीं कर पाते।
जबकि पेरेंट्स को यह समझने की जरूरत है कि यह बच्चों की ऐसी उम्र है जब उन्हें सपोर्ट की जरूरत है न की उन को अकेला छोड़ने की।
बच्चों पर ध्यान दें।
बच्चे को इस विषय पर ध्यान केंद्रित करने के लिए कहे जिनसे उन्हें कुछ अच्छा सीखने को मिले ना कि ऐसी वैसी और भावनाओं पर जो उन्हें बुरा फील कराएं और उन्हें हताश करें।
ऐसा करने से किशोर खुद को पीड़ित नहीं मानेंगे और अच्छी चीजों को सीख कर अपनी समस्याओं का समाधान खुद करना तथा दूसरों की मदद करना सीख पाएंगे।
उनकी बातों को सुनिए।
अपने बच्चों को सही जीवन देने और उनका भविष्य सुरक्षित बनाने के लिए आपको उनको सुनना जरूरी है सुनिए कि उनको क्या प्रॉब्लम है और क्या कारण है जिससे वह बुरा feel कर रहे हैं।
ऐसा करने से बच्चे आपके साथ ज्यादा जुड़ाव महसूस करेंगे और अपनी समस्याओं को आपसे शेयर कर पाएंगे।
• शिक्षा द्वारा।
घर पर बच्चों को नैतिक शिक्षा देने की जरूरत है ताकि बच्चे अपने व्यवहार को समझ पाएं और उनका निदान खुद निकालने में सक्षम हो।
ना केवल घर पर शिक्षा किशोरों की मदद कर सकती है बल्कि स्कूल में मिलने वाली शिक्षा भी बच्चों को सही मार्गदर्शन करने में मददगार होती है इसीलिए अध्यापक को चाहिए कि वह किशोरों को सही दिशा दिखाएं।
• फ्रेंडली व्यवहार अपनाएं।
किशोरों के साथ माता-पिता को और अध्यापक को हमेशा समझदारी से और मित्र बनकर व्यवहार करना चाहिए। उनकी बातों को समझने की कोशिश करनी चाहिए और उनकी समस्याओं का समाधान उन्हें प्यार से समझाना चाहिए।
• उचित पर्यावरण उपलब्ध कराएं।
माता-पिता को चाहिए कि वह अपने बच्चों को ऐसा वातावरण दें जिसमें किशोर खुद को सुरक्षित महसूस करें। और अपने फैमिली मेंबर के साथ सामंजस्य की भावना बना पाएं।
किशोरो के बारे में पूछे जाने वाले प्रश्न।Questions Ask About Teenage.
1.एक किशोर लड़की की समस्याएं क्या हैं?
एक किशोर लड़की कई समस्याओं को महसूस करती है जैसे साथियों का दबाव पारिवारिक रुकावट, शिक्षा, आत्म सम्मान, नशीली चीजों का सेवन, मासिक धर्म, टेंशन और अवसाद।
2.किशोर कैसे व्यवहार करते है।
किशोर विशेष रूप से अपनी पहचान के साथ संघर्ष करते हैं खुद को विशेष दिखाना चाहते हैं और चाहते हैं कि लोग उन पर ध्यान दें।
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शरीर में हो रहे बदलावों की वजह से वह अजीब महसूस करते हैं उनका आत्मविश्वास भी कम होता रहता है ऐसे में उन्हें सपोर्ट की जरूरत होती है और फैमिली की सपोर्ट सबसे महत्वपूर्ण है।
3.किशोर गुस्से में क्यों रहते हैं?
आमतौर पर किशोर मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों को लेकर बहुत ज्यादा गुस्सा महसूस करते हैं उनके साथ हो रहे व्यवहार उन्हें आहात करते हैं जिस वजह से वह खुद को तनाव और दबाव में महसूस करते हैं।
खुद को कम आत्मविश्वासी और दूसरों के लिए कम महत्व रखने वाला समझते हैं जिस वजह से उन्हें क्रोध आता है।
4.एक किशोर के लिए जीवन इतना कठिन क्यों है?
किशोरों के लिए अपना जीवन कठिन इसलिए होता है क्योंकि इस वक्त बहुत सारे बदलाव से गुजरते हैं जिसे न वो खुद को समझ पाते हैं और ना ही दूसरे लोग।
बहुत सारा दबाव होता है एक तो माता पिता के द्वारा उन पर दबाव बनाया जाता है दूसरा उनके अपने शौक होते हैं अपनी ख्वाहिशे होती हैं जो उनके लिए जीवन कठिन बना देती हैं।
5.एक किशोर कैसे खुश रह सकता है?
किशोरों को खुश रखने के लिए उनकी प्रशंसा करनी चाहिए उनके तरीकों को समझना चाहिए और उन्हें प्रोत्साहित करते रहना चाहिए।
उनके कामों में उनकी थोड़ी सी मदद कर देनी चाहिए होमवर्क करने में या फिर कोई और काम जिसमें आप उनकी हेल्प कर सकते हैं।
बच्चों को नई नई चीजों को आजमाने के लिए देना चाहिए Encourage करना चाहिए कि आप कर सकते हो कभी भी उन्हें किसी भी चीज के लिए Discourage ना करें।
6.आज एक किशोर के रूप में यह कैसा है?
आज के समय में किशोर ज्यादातर मस्ती और रोमांच भरा जीवन जीना पसंद करते हैं जिसमें वह अच्छे कपड़े पहनना फैशन में रहना पार्टियां करना ऐसी चीजें करते हैं।
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आज के समय में किशोर धमकाना किसी चीज को मना करना बहिष्कार करना ऐसी चीजों के प्रति ज्यादा संवेदनशील है और इन चीजों को पसंद नहीं करते।
हर बच्चे में जन्म से ही अपनी प्रॉब्लम्स को सुलझाने का कौशल नहीं होता। यह सारी चीजें उसे धीरे-धीरे सीखनी पड़ती है अपने वातावरण को देखकर, और माता-पिता उन्हें सिखाते हैं।
किशोर अपने आप अपनी प्रॉब्लम का हल ढूंढते हैं तो उनमें समस्याओं को सुलझाने की क्षमता विकसित होती है। वह ज्यादा जिम्मेदार महसूस करते हैं और खुद को चुनौतियों का सामना करने के लिए आत्मविश्वासी पाते हैं।
किशोरावस्था में बच्चों के साथ माता पिता को दोस्त की तरह रहना चाहिए। तभी बच्चे बिना हिचकिचाहट के माता पता से अपने मन की बात कर पाते हैं और उनसे अपनी प्रॉब्लम्स को शेयर करके सलाह लेते हैं।
यह बहुत महत्वपूर्ण है कि आप अपने बच्चों को समझें उनकी गलतियों पर उन को डांटने के बजाय उन्हें समझाएं कि उन्होंने यह गलती की है और किस तरह से उन्हें अपनी गलती को सुधारना है उन्हें सही मार्गदर्शन की जरूरत है जो माता-पिता बहुत बेहतर तरीके से कर सकते हैं।
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