How to unspoil kids:बच्चों को सही रास्ता दिखाने की जिम्मेदारी पेरेंट्स पर होती है क्योंकि बच्चों का पहला स्कूल उनका घर होता है और उनके पहले टीचर माता पिता ही होते हैं।
जो जिंदगी को जीने का ढंग सिखाते हैं लेकिन अगर बच्चों को सही वातावरण और परवरिश ना मिले। तो वो गलत चीजें सीखने लगते है और इसी के आधार पर उनका भविष्य भी तय होता है।

आजकल का प्रतिस्पर्धा वाला जमाना है जहां बच्चे अपनी ख्वाहिशें,आदतें, जिम्मेदारियां पूरा करने के लिए खुद कोशिश करने की बजाय चमत्कार हो जाने पर ज्यादा विश्वास करते हैं।
यह इसलिए होता है क्योंकि पेरेंट्स अपनी ख्वाहिशें जो उनकी पूरी नहीं हो पाई अपने बच्चों के द्वारा पूरी करना चाहते हैं।
ऐसी ख्वाहिशें जिसमें शायद बच्चों को इंटरेस्ट ना हो और इसी वजह से बच्चे सफल होने के लिए मेहनत करने के बजाय चमत्कार पर विश्वास करने लगते हैं।
क्योंकि जो उनसे करने के लिए कहा जाता है वह उसे पूरे दिल से एक्सेप्ट नहीं कर पाते। सिर्फ पेरेंट्स के ज़ोर डालने पर उन्हें करना पड़ता है। आमतौर पर बच्चे को इस तरह के काम में कोई एंजॉयमेंट नहीं मिलती।
लेकिन माता पिता अपने सपने पूरे करने के लिए उन्हें डांट देते हैं और उनके साथ ऐसा व्यवहार करते हैं जिस वजह से वह डरकर वैसा ही करने की कोशिश करते हैं जैसा पेरेंट्स चाहते हैं और उसके लिए कभी-कभी बच्चे गलत राह भी अपना लेते हैं।
आज के सामाजिक वातावरण में नैतिक वैल्यू नहीं दिखाई देती हर कोई केवल अपने अभिमान में जी रहा है। इसी वातावरण के कारण बच्चों में भी नैतिक मूल्यों की कमी देखी जा सकती है आजकल के बच्चे बिना किसी की फिक्र किए नैतिकता के विरुद्ध कार्य करते हैं।
आज हम यहीं जानने वाले हैं कि बच्चों को अच्छा भविष्य देने के लिए पेरेंट्स को उनसे किस तरह का व्यवहार करना चाहिए तथा उनके सामने कैसे रहना चाहिए। क्योंकि बच्चे वो नहीं सीखते जो आप सिखाते हैं बल्कि वैसा सीखते हैं जैसा आप करते हैं।
इस आर्टिकल में आपको पूरी जानकारी मिल जाएगी कि बच्चों के सामने कैसे रहे। जिससे उनमें नैतिक मूल्यों का विकास हो। वह देश के लिए एक ऐसी मिसाल बने जो देश को पूरी दुनिया में बेमिसाल बना दे।
बच्चों के विकास पर प्रभाव डालने वाले कारक।(How To Unspoil Kids)
पारिवारिक माहौल।
परिवार बच्चे का सबसे पहला स्कूल माना जाता है। परिवार ही वो जगह होती है जहां बच्चे सही गलत सीखते हैं और एक अच्छा इंसान बनने के गुण सीख पाते हैं। बच्चे अपने घर से जो भी सीखते हैं वह उनके व्यवहार में दिखाई देता है।
जरूरी है कि बच्चों को घर में ऐसा माहौल दिया जाए जहां शांति प्यार, सहयोग की भावना उन्हें मिल पाएं।
दूसरे के लिए इज्जत का भाव रखे घर का वातावरण ही बच्चों के विकास पर प्रभाव डालता है इसलिए घर का वातावरण इस प्रकार का होना चाहिए जिसमें बच्चा एक ऐसी सीख ले जो उसे अच्छा इंसान बनाने में सहयोग करें।
लेकिन अगर इसके विपरीत पारिवारिक माहौल गुस्सा, द्वेष ईर्ष्या, लड़ाई-झगड़े का हो तो बच्चों में भी इसी तरह के गुण पनपने लगते हैं वह भी दूसरों के सामने इसी प्रकार का व्यवहार करते हैं और इसी से उनकी पहचान समाज में बनती है।
बच्चे अपने फैमिली मेंबर को देखकर सीखते हैं (How To Unspoil Kids)इसीलिए उनके सामने हमेशा भाईचारा सहयोग प्यार खुशी का माहौल रखें गलत चीजों पर उन्हें समझाएं कि उन्हें इस तरह की गलती नहीं करनी चाहिए।
हमेशा सही चीजें ही उन्हें सिखाएं। हो सकता है यह चीजें अभी बच्चों को बुरी लगे लेकिन इन कड़वी बात तो से बच्चे अपना भविष्य सुरक्षित रूप से जीने में सक्षम हो पाते हैं।
स्कूल का वातावरण।
घर के बाद स्कूल बच्चों को जीवन का सही पाठ पढ़ाता है। आपके बच्चे का स्कूल आपको इस तरह का चुनना है जहां उसे वह वातावरण मिले जिसमें वो एक सकारात्मक व्यक्तित्व बना पाए क्योंकि स्कूल का बच्चों के व्यवहार में बहुत प्रभाव दिखता है।
दोस्तों का सहयोग।
मित्रता कैसे बच्चों से है उससे भी बच्चे के व्यक्तित्व पर सही या गलत असर होता है चाहे वह स्कूल के दोस्त हो या स्कूल से बाहर के जैसे दोस्त रहते हैं बच्चा भी उन्हीं की तरह बर्ताव करना चाहते है उन्हीं की तरह रहना, खाना, पहनना पसंद करने लगते है।
इसीलिए आप ध्यान दे कि आपका बच्चा कैसे दोस्तों के साथ रहता है और उसे समझाएं कि उसे कैसे दोस्त बनाने चाहिए।
आधुनिक लाइफस्टाइल।
आधुनिकीकरण का समय नई जीवनशैली का समय है जहां हर कोई सिर्फ खुद के लिए सही करना चाहता है पैसा कमाना चाहता है उसके लिए चाहे उसे किसी भी तरह का काम करना पड़े।
सबसे ज्यादा बच्चों पर आधुनिक असर होता है और बच्चे किस तरह का माहौल देखते हैं उसी तरह का माहौल और दृष्टिकोण बच्चे भी बना लेते है उनके इसी दृष्टिकोण के आधार पर उनका विकास होता है (how to unspoil kids) उनका भविष्य भी इसी से तय होता हैं।
अपने बच्चों को जीवन शैली देने के लिए आपको उनके सामने एक मिसाल बनना है खुद को उस ढांचे में डालना है जैसा आप अपने बच्चों को बनाना चाहते हैं उनके सामने ऐसा वातावरण रखना है जहां उन्हें सही दृष्टिकोण बनाने में मदद मिले।
ऐसा करने के लिए आपको कुछ ज्यादा एक्स्ट्राऑर्डिनरी काम करने की जरूरत नहीं है सिर्फ बच्चों के सामने खुद को वैसा बनाएं जैसा आप उन्हें बनाना चाहते हैं क्योंकि बच्चा वही देखेगा जो आप दिखाएंगे जो आप करेंगे वही बच्चा भी करना चाहता है।
सोशल मीडिया।
सोशल मीडिया एक विशाल नेटवर्क है जो वर्चुअल माध्यम से युवाओं को बहुत दूर तक पहुंच बनाने में सहायक है जिसने संसार को एक छोटे से गांव की तरह बना दिया है जहां हर कोई पहुंच बना सकता है।
आज व्यक्ति अपने जरूरी काम भूल जाता है लेकिन सोशल मीडिया पर हो रहे अपडेट को जानने के लिए वह बहुत उत्सुक रहता है।
सोशल मीडिया मनोरंजन का एक बहुत बड़ा प्लेटफार्म है और बच्चे इस मनोरंजन से बिल्कुल भी दूर नहीं रहना चाहते हैं इसीलिए वह हमेशा सोशल मीडिया पर लगे रहते हैं।
आज के माहौल में माता-पिता बच्चों को छोटी सी अवस्था में ही मोबाइल फोन दे देते हैं जो बच्चों को बचपन से ही मोबाइल से जोड़ देता है और इसी से बच्चे हमें सोशल मीडिया पर अपडेट रहने की आदत हो जाती है (how to unspoil kids) इस वजह बच्चे समाज से कट जाते हैं और मोबाइल के जरिए सोशल मीडिया से जुड़े रहते हैं।
अगर यह कहा जाए कि आज का युवा मीडिया का आदी हो चुका है तो गलत नहीं होगा क्योंकि हर कोई मोबाइल कम्प्यूटर लेपटॉप उपयोग करना आवश्यक समझता हैं।आज इसके बिना जीवन की कल्पना करना मुश्किल लगता है।
सुबह उठते ही सबको मोबाइल देखना होता है सोशल मीडिया पर नोटिफिकेशन चैक करने के लिए सुबह ही हाथ में मोबाइल आ जाता है अपडेट्स को देखना उनका पहला काम रहता है जिस वजह से वह अपने वास्तविक जीवन में सही प्रदर्शन नहीं दिखा पाते।
वीडियो गेम्स।
सोशल मीडिया के बाद वीडियो गेम बच्चों के लिए आज बहुत ज्यादा महत्व रखने वाला प्लेटफार्म है जहां बच्चे गेम खेलकर अपना इंजॉय करते रहते हैं।
कई बार वीडियो गेम में गलत कर जाते हैं क्योंकि वीडियो में जुआ लगाने लगते हैं और पैसे जीतने और हारने जैसे गलत काम में संगलन हो जाते हैं।
टेक्नोलॉजी।
हम सभी जानते हैं कि आज टेक्नॉलॉजी कितनी ज्यादा बढ़ती जा रही है और इसका प्रभाव ना केवल हमारी जीवन शैली पर पड़ रहा है बल्कि बच्चों के विकास पर भी इसका बहुत असर होता है।
बढ़ती टेक्नोलॉजी से (how to unspoil kids) बच्चे टेक्नोलॉजी का उपयोग अधिक करने लगे हैं और अपने ऊपर निर्भरता कम कर पाते हैं।
टेक्नॉलॉजी हमारे विकास के लिए होती है और इसे हमें खुद के अच्छे के लिए इस्तेमाल करना चाहिए। बच्चों को टेक्नॉलॉजी के महत्व के बारे में समझाना चाहिए और उन्हें सही जानकारी देने में इसका प्रयोग करना चाहिए। और उनको इसका सही उपयोग कैसे करना है यह समझानाएं।
माता पिता कि गलतियां जिससे बच्चे बिगड़ जाते हैं।(How To Unspoil Kids)
झूठ बोलना।
अगर माता-पिता बच्चों के सामने झूठ बोलते हैं तो बच्चों में भी झूठ बोलने की आदत पनपने लगती है उन्हें लगता है कि उनके माता-पिता झूठ बोलते हैं तो वह भी झूठ बोल सकते हैं।
अगर बच्चे के सामने पेरेंट्स झूठ बोलते हैं इससे बच्चों में संस्कार इसी तरह के आते हैं वह भी छोटी-छोटी बातों पर झूठ बोलने लगते हैं लोगों से उसी तरह बातें करने लगते हैं तो जरूरी है बच्चों को सही सीख देने के लिए उनके सामने हमेशा सच बोले और उन्हें सच बोलना सिखाए।
बच्चे को अधिक प्यार देना।
हर माता-पिता अपने बच्चों से बहुत प्यार करते हैं लेकिन उनको अधिक लाड प्यार देना और गलत में फर्क ना बताना उनके लिए सही नहीं होता ऐसे में बच्चे बिगड़ जाते हैं फिर न तो वो अपने माता-पिता की बात मानते हैं और ना ही बड़ों का सम्मान करना सीख पाते हैं।
माता पिता के प्यार की वजह से बच्चे खुद को संभालना सीख नहीं पाते। वह बड़े होने के बाद भी अपने पेरेंट्स पर ही डिपेंड रहते हैं क्योंकि पेरेंट्स बच्चों को छोटी-छोटी समस्याओं से भी दूर रखते हैं।
उन्हें समस्या को सुलझाने की बजाय समस्या से दूर जाने के लिए कहते हैं जिस कारण बच्चा किसी भी समस्या को सुलझाने में सक्षम नहीं हो पाता और बड़ा होने के बाद भी अपनी प्रॉब्लम को सॉल्व करने के लिए माता पिता पर ही निर्भर रहता है।
ऐसे में बच्चा अकेले रहना ज्यादा पसंद करने लगता है क्योंकि जो प्यार उसे माता-पिता से मिलता है वहीं प्यार वो दूसरों से भी लेना चाहता है लेकिन माता-पिता जितना प्यार कोई दूसरा नहीं दे पाता इसीलिए वह दूसरों से दूर रहना चाहता है अकेलापन पसंद करने लगता है।
इसलिए ध्यान रखें बच्चों को प्यार दे लेकिन गलती होने पर उन्हें डांटे भी हमेशा सही और गलत के बीच में फर्क बताएं। (how to unspoil kids) उनकी छोटी-छोटी समस्याओं को सुलझाने के लिए उन्हें प्रोत्साहित करें ताकि भविष्य में वो अपनी गलती खुद सुधार पाएं।
माता पिता की बोलचाल।
सामान्यतः बच्चे अपने बड़ों की भाषा सीखते हैं जो वह बोलते हैं जैसा वह बोलते हैं वैसा ही बोलने का प्रयास करते हैं और उसी तरह का व्यवहार करना सीखते हैं।(How To Unspoil Kids)
अगर पेरेंट्स बच्चों के सामने किसी नौकर की इंसल्ट करते हैं उनसे गलत तरीके से से बात करते हैं तो बच्चा भी वैसा करने लगता है।
इसे एक कहानी से समझते हैं राकेश एक ऑफिस में काम करता है एक बार उसके बॉस मिस्टर राहुल घर पर डिनर के लिए आते हैं खाना खा लेते हैं तो राकेश के घर का नौकर उनके लिए पानी लेकर आता है और किसी वजह से वह पानी मिस्टर राहुल पर गिर जाता है।
तब राकेश का बेटा नौकर को गाली देकर बोलता है तुम्हें दिखाई नहीं देता यह कौन है मेरे पापा के बॉस है तुम्हें पानी देने का ख्याल नहीं है आज ही पापा से कहकर तुम्हें घर से बाहर निकलवा दूंगा यह सब देख कर मिस्टर राहुल आश्चर्यचकित रह जाते हैं और मिस्टर राहुल के चेहरे को देखकर राकेश अपने बच्चे को डांटने लगता है और गाली बोलने लगता है।
तब मिस्टर राहुल समझ जाते हैं कि यह गलती राकेश के बेटे की नहीं है बल्कि राकेश की हैं उसके व्यवहार की वजह से ही उसके बच्चे में भी एक गलत प्रवृत्ति बनी है और उस दिन के बाद से मिस्टर राहुल अपने बेटे को राकेश के बेटे के साथ खेलने से मना कर देते हैं।
इससे साफ समझ आता है कि आपके बोलने के तरीके का दूसरों पर प्रभाव होता है (how to unspoil kids) इसीलिए बच्चों के सामने हमेशा ऐसी वाणी का उपयोग करें जिससे बच्चों में अच्छे संस्कार आएं।
कमियां निकालना।
अक्सर जब मेहमान आ कर चले जाते हैं तो घर के सदस्य उनके पहनावे उनके बातचीत के तरीके में कमियां निकालते हैं जो बच्चे भी सुनते हैं जिससे बच्चों के मन में भी उस व्यक्ति के बारे में ऐसी धारणा बन जाती है।
बच्चों के मन में इसका गहरा असर पड़ता है (How To Unspoil Kids)और वह भी बड़ा होकर दूसरों में कमियां निकालने की आदत बना लेता है।
केवल दूसरों के बारे में ही नहीं बल्कि परिवार के दूसरे सदस्यों के बारे में भी कमियां निकाला जाना बच्चा ध्यान से देखता है और समझता है बार बच्चा एक जैसे की बात सुनकर दूसरे से बता देता है जिस वजह से घर में एक दूसरे के प्रति गलतफहमियां भी आती हैं।
इसलिए बच्चों के सामने कभी भी दूसरों की बुराई ना करें उन्हें हमेशा दूसरों में अच्छाई ढूंढना सिखाएं क्योंकि जब आप उसे दूसरों में अच्छाई ढूंढना सिखाएंगे तभी वह अपने जीवन को भी सकारात्मक रूप से बेहतर बना पाएगा
बच्चों को लालच देकर काम लेना।
जब बच्चों को किसी काम को करवाने के लिए कुछ चीज देखकर उकसाया जाता है तो उनके मन में इसी तरह की प्रवृत्ति आने लगती है फिर बच्चे हर काम के लिए कुछ पाना चाहते हैं।
ऐसे में माता-पिता को चाहिए कि बच्चों से काम को करवाने के लिए लालच बिल्कुल न दें। वरना बच्चे का भविष्य भी इसी के आधार पर तय होने की संभावना बन जाती है।
बच्चों के साथ माता पिता का कैसा व्यावहार होना चाहिए।(How To Unspoil Kids)
बच्चों के रोल मॉडल बने।
बच्चे कच्ची मिट्टी की तरह होते हैं जिन्हें जिस सांचे में आप ढालना चाहे उस सांचे में ढाल सकते हैं। ऐसा करने के लिए बच्चों के सामने किसी भी तरह के खराब शब्द नहीं बोलना चाहिए।
ना ही बच्चों के सामने मार पिटाई करनी चाहिए कोई ऐसी बात हो जिसमें आप को महसूस हो कि आपके लिए यह बात करना जरूरी है तो हो सके तो वह बात बच्चों से अलग ही करें।

बच्चे की तुलना किसी दूसरे से ना करें।
अधिकतर पेरेंट्स अपने बच्चे की तुलना दूसरे बच्चों से करते हैं जिसमें वह दूसरे बच्चों की अच्छाइयां तो गिनाते हैं लेकिन अपने बच्चों की अच्छाई उन्हें नहीं बताते बल्कि उन्हें उनकी कमियां निकालकर दिखाते हैं।
हर बच्चे में अच्छाइयां और बुराइयां दोनों होते हैं इसीलिए बच्चों को केवल उनकी बुराइयां ना बताएं। बल्कि उनकी अच्छाइयां भी उन्हें समझाएं इससे बच्चों में प्रोत्साहन बढ़ता है और वह और अच्छा करने का प्रयास करते हैं।
अगर आपको लगे कि बच्चा कुछ अच्छा काम कर रहा है तो उसको प्रोत्साहित कीजिए कि तुम बहुत अच्छा काम कर रहे हो और तुम इससे अच्छा और कर सकते हो अपनी पूरी मेहनत करो तुम्हें तुम्हारा रिजल्ट जरुर मिलेगा।
बच्चों में sharing and carrying की आदत बनाएं।
बच्चों में किसी भी चीज को दूसरों के साथ शेयर करने की आदत होनी चाहिए इससे उनमें केयरिंग क्षमता बढ़ती है।
बच्चों के साथ friends की तरह रहे हैं।
बच्चों पर रोब जमाने की बजाय उनके साथ दोस्ताना व्यवहार रखें क्योंकि अगर आप उन्हें दोस्तों की तरह ट्रीट नहीं करेंगे तो वह आपसे अपनी कोई भी बात शेयर नहीं करेंगे।
बच्चे तभी आपसे खुलकर अपने दिल की बात कर सकते हैं जब आप उनको फ्रेंड की तरह समझे और उन्हें भी यह महसूस कराएं कि आप उनके पेरेंट्स ही नहीं बल्कि एक अच्छे दोस्त भी हैं।
दोस्ती में सबसे बड़ी चीज होती है कि आप एक दूसरे को खुलकर अपनी मन की बात बता सकते हैं इससे दिल भी हल्का होता है और प्रॉब्लम का सोल्यूशन भी निकल जाता है।
बच्चे का सही मार्गदर्शन करें।
सिर्फ माता-पिता ही ऐसे होते हैं जो बच्चों का सही प्रकार से मार्ग दर्शन कर सकते हैं। क्योंकि वह अपने बच्चों को बचपन से जानते हैं उनकी अच्छाई और बुराई के बारे में उनकी पसंद नापसंद के बारे में, बच्चों को सही राह दिखाने की सबसे ज्यादा समझ माता पिता में ही होती है।
पेरेंट्स को इस बात को ध्यान रखना चाहिए कि बच्चे का इंटरेस्ट किस चीज में है। और क्या वह चीज बच्चों के लिए सही है इसलिए इन चीजों को ध्यान में रखकर माता-पिता को बच्चों को सही रास्ता दिखाना चाहिए।
बच्चों को शिक्षा का महत्व समझाएं।
शिक्षा जिंदगी को सही प्रकार से जीने का ढंग समझाती है व्यक्ति को कामयाब होने की दिशा दिखाती है। शिक्षा के बिना इंसान एक पशु की भांति ही है जो सही और गलत का फर्क नहीं समझ पाता।
इसीलिए बच्चों को यह समझाना जरूरी है कि उनके लिए शिक्षा कितनी जरूरी है शिक्षा ही उनके भविष्य को सुरक्षित बनाती है।
शिक्षा प्राप्त करके बच्चों को यह समझ आता है कि वह किस तरह से समाज में सही कार्य कर सकता है जिससे समाज में एक सकारात्मक परिवर्तन आए। शिक्षा द्वारा व्यक्ति एक अच्छा इंसान बन पाता है और ना केवल खुद की जिंदगी बदलता है बल्कि अपने से जुड़े हैं लोगों को भी राह दिखा पाता हैं।
बच्चों को शिक्षा का महत्व समझाना बहुत जरूरी है शिक्षा से बच्चे अपने भविष्य को संवारने और अपनी लाइफ को बेहतर बनाने में सहायता ले पाते हैं।
इस क्षेत्र में सबसे ज्यादा लड़कियों को पीछे रखा जाता है। खासकर भारत में लड़कियों को शिक्षा बहुत कम दी जाती है उन्हें बीच में ही शिक्षा को छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया जाता है जिस वजह से वह अपनी जिंदगी को सही मायने में इंजॉय नहीं कर पाती। ऐसे में उन्हें दूसरों के अनुसार अपनी जिंदगी जीनी पड़ती हैं।
इसी कारण वह अपने बच्चों का सही मार्गदर्शन करने में सक्षम नहीं रहती। क्योंकि शिक्षा की कमी से महिलाएं अपने अधिकारों को नहीं समझ पाती और इसीलिए खुद की आकांक्षा को पीछे रखकर परंपराओं को ध्यान में रखकर अपने बच्चों को परवरिश देती हैं।
औरत शिक्षित होकर समाज में बदलाव लाती है जबकि एक पुरुष शिक्षा प्राप्त करके केवल खुद को विकसित करता है। इसलिए समाज को बढ़ाने के लिए लड़कियों का पढ़ाना बहुत जरूरी है।
बच्चों धन्यवाद कहना सिखाएं।
धन्यवाद कहने से बच्चों में दूसरों के उपकार का आभार मानने की समझ आती है और इससे वे दूसरों के द्वारा अपने लिए किए गए कार्यों का शुक्रिया करते हैं। लेकिन अगर उन्हें धन्यवाद कहना ना सिखाया जाए तो वह दूसरों का शुक्रिया कहने में झिझक महसूस करते हैं।
घर के नियम के बारे में बच्चों से बहस ना करें।
बच्चों को जिस प्रकार की सीख बचपन से दी जाती है उन्हें वैसा ही करना अच्छा लगता है इसलिए जब बच्चे बड़े हो जाते हैं तो आप उनको रोक टोक न करें उन्हें थोड़ा सा स्पेस दें। अगर आपको लगे कि वह सही नहीं कर रहे हैं उनके लिए ये ठीक नहीं है तो आप उन्हें प्यार से समझाएं हर चीज पर रोक टोक ना करें।
बच्चों को उपहार देने की बजाय हिम्मत दे।
बच्चों को उनके किए गए किसी अच्छे काम के लिए उपहार देने की बजाय उन्हें प्रोत्साहन दे। कि वह हमेशा ऐसे ही अच्छे काम करें और वह उससे भी ज्यादा बेहतर कर सकते हैं उन्हें दूसरों की मदद करना सिखाए और हमेशा खुद के लिए सही फैसला कैसे लें यह समझाएं।
उपहार देने से बच्चे के अंदर अभिमान आता है और प्रोत्साहन देने से बच्चे के अंदर सम्मान पाने के लिए और अधिक अच्छा काम करने की ललक बढ़ती है।
बात करने का तरीका सिखाएं।
बच्चे किस तरह से दूसरों से बात करते हैं इससे उनके संस्कारों का पता चलता है कि मां-बाप ने उन्हें क्या सिखाया है इसलिए आप उनको हमेशा दूसरों से नम्रता से बात करना सिखाए। विशेषकर मेहमानों के सामने किस तरह से पेश आना चाहिए यह उनको समझाना माता-पिता का कर्तव्य है।
उन्हें बताएं है कि जब भी घर पर कोई मेहमान आए उनसे सही तरह से बर्ताव कैसे करना है सबसे पहले अतिथियों से पानी के लिए पूछे उनसे हमेशा नम्रता से बात करें।
अपने घमंड को उनके सामने ना आने दे क्योंकि जैसा हमारे भारतीय संस्कृति में कहा जाता है कि मेहमान भगवान होता है और भगवान से लिए कोई गलत तरह से व्यवहार नहीं कर सकता।
यह सब सिखाना मां-बाप का ही धर्म होता है बच्चों को यही सिखाए बड़ों का आदर करें मेहमानों का सम्मान करें।
बच्चों की सारी ज़िद पूरी न करें।
जैसे-जैसे बच्चा बड़ा होता जाता है उसके अंदर जिद्दी स्वभाव आता जाता है ऐसे में आपको देखना है कि उसकी ज़िद सही है या नहीं। अगर उसकी जिद गलत है।
तो उसे नकारना अत्यावश्यक है पर अगर वह अपने भविष्य को संवारने सजाने के लिए कुछ करना चाहते हैं तो आपको उन्हें समझाना चाहिए।
उनके लिए सही फैसला ले उनकी भावनाओं को आहत करने के बजाय उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित कीजिए।
बच्चों को जैसी शिक्षा संस्कार आप देना चाहते हैं उनके सामने वैसे ही पेश आएं वरना आप उनको सही संस्कार देने में सफल नहीं हो सकते।
बच्चे जो देखते हैं सुनते हैं वही उनका स्वभाव बन जाता है। आप जो कह रहे हैं उसे सोच समझकर कह कि उससे आपके बच्चे पर क्या प्रभाव पड़ेगा।
यह दृष्टिकोण बिल्कुल ना रखें कि हम बड़े हैं और हम किसी भी तरह से बात कर सकते हैं बच्चों को इस तरह से बात नहीं करनी है उन्हें अगर आप ऐसा कहेंगे तो वो और ज्यादा गलत स्वभाव अपनाने लगेंगे।
इसलिए उनको यह कहने की बजाय उनके सामने ऐसा व्यवहार करें जैसा आप उनसे करवाना चाहते हैं।
Thank you for reading.