अंहकार कैसे हमारे जीवन को प्रभावित करता है।|How to ego good or bad in hindi

अंहकार कैसे हमारे जीवन को प्रभावित करता है : Ego या घमंड जिंदगी का एक अहम हिस्सा होता है जो हर व्यक्ति के जीवन को किसी न किसी रूप में प्रभावित करता है अगर सिंपली समझे तो ईगो का सामान्य मतलब है खुद को प्रोटेक्ट करना। यानी दूसरा हमारे बारे में क्या सोचता है कोई हमारे बारे में बुरा सोचता है तो खुद को सही साबित करना, हर किसी से कट जाना पर खुद को ही सही समझना फिर चाहे हम सही हो या ग़लत।

अंहकार कैसे हमारे जीवन को प्रभावित करता है।|How to ego good or bad in hindi

लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि EGO सिर्फ नकारात्मक होती है जैसे हर चीज के दो पहलू होते हैं उसी तरह इगो का दूसरा पहलू होता है जो इगो का सकारात्मक रूप है।

Ego क्या है।

सकारात्मक ego का मतलब किसी की गलत धारणाओं या गलत सोच का विरोध करके खुद के वजूद को बचाना है।

इसे उदाहरण से समझते हैं।अंहकार कैसे हमारे जीवन को प्रभावित करता है।

क्या भिन्नता है पॉजिटिव इगो और नेगेटिव इगो में आम जिंदगी से समझिए, जैसे समाज में लड़कियां और लड़कों को अलग-अलग treat दी जाती है अधिकतर इसमें अगर लड़कियां अपने अधिकार के लिए लड़ती है तो वह उसका ईगो है पर पॉजिटिव है।

क्योंकि वह किसी के ऊपर कब्जा बनाना नहीं अपितु खुद की आजादी चाहते हैं वहीं जो लोग लड़कियों को कैद करके रखना चाहते हैं अपनी इज्जत के लिए उन्हें पढ़ने से रोकते हैं।

जो उन्हें job नहीं करने देते, उनकी मौलिक (फंडामेंटल) ख्वाहिशों को पूरा नहीं होने देते, तो यह उनका नेगेटिव इगो है क्योंकि यह लोग किसी के जीवन को अपने अहंकार की वजह से कैद करना चाहते हैं ताकि खुद को इज्जत दार बनाए रख सकें।

Ego रखने वाला व्यक्ति अभिमानी होता है?

कोई भी ऐसे आदमी के साथ नहीं रहना चाहता जो egoistic हो क्योंकि ईगोस्टिक इंसान हमेशा अपनी बात को ही महत्व देता है और खुद को ही सही मानता है इसलिए सामने वाला व्यक्ति ऐसे आदमी के साथ रहना पसंद नहीं करता है।

दूसरों का बुरा कर तो लेते हैं पर अपनी बारी आने पर खुद को safe करना चाहते हैं ego व्यक्ति की पर्सनैलिटी को नकारात्मक बनाती है इसीलिए Ego से E हटाकर तब आगे (go) बढ़ो।

अंहकार कैसे हमारे जीवन को प्रभावित करता है।|How to ego good or bad in hindi

Ego को तो हमने समझ लिया है ego किस तरह से हमारे जीवन को यह प्रभावित कर सकती है इस पर भी गौर कर लिया है कि ईगो दो तरह की हो सकती है सकारात्मक और नकारात्मक ईगो अब नेगेटिव ईगो और पॉजिटिव ईगो को गहराई से समझते हैं।

सकारात्मक ईगो/Positive Ego.

• Positive ego वह है जो हम अपने साथ सही करने के लिए इस्तेमाल करते हैं जिससे किसी दूसरे को कोई नुकसान नहीं होता सकारात्मक गुमान (ego) को व्यक्ति काफी हद तक कंट्रोल कर लेता है।

• सकारात्मक घमंड से हमारी जिंदगी में पॉजिटिव रिजल्ट ही मिलते हैं पॉजिटिव ईगो की खासियत यह होती है कि व्यक्ति को पता होता है कि वह egoism है पर वह जानता है कि वह इस ईगो को सिर्फ अपने बेनिफिट्स के लिए प्रयोग करेगा किसी के loss के लिए नहीं।

• पॉजिटिव ईगो व्यक्ति को Disciplined बनाती है और उसके life purpose को पाने में हेल्प करती है लेकिन आज के मॉडर्न समय में पॉजिटिव ईगो बहुत कम देखने को मिलती है।

• क्योंकि इस समय में लोगों में दिखावट ज्यादा आ गई है जिस वजह से लोग खुद की respect के लिए नहीं बल्कि जिंदगी को दिखावटी रूप में जी रहे हैं।

नेगेटिव ईगो/Negative Ego.

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• नकारात्मक ईगो उसे कहेंगे जिससे दुख पहुंचे और गुस्सा आए। अगर कोई आपकी इंसल्ट करता है और आप उसके दुश्मन बन जाओ तो यह नेगेटिव ईगो है नकारात्मक ईगो एक बहुत बुरी चीज है इसीलिए इस से बचना चाहिए।

• बेसिकली नकारात्मक घमंड का मतलब है कि हम सेल्फिश होकर सिर्फ उन मुद्दों को देखते हैं जो हमारे लिए अहमियत रखते हैं जो हमारे favour में हों।

• उन्हें अपनाते हैं तथा जो हमारे खिलाफ चीजें होती हैं उन्हें हम नकारते हैं उनसे खुद को बचाने का प्रयास करते हैं चाहे उसके लिए हमें गलत रास्ता क्यों ना चुनना पड़े।

• हम हमेशा यह चाहते हैं कि हमारे साथ कुछ गलत ना हो हर अच्छी चीज़ हमारी होनी चाहिए। हम खुद को केंद्र बनाकर हर सिचुएशन में हर चीज को जज करते हैं बस यह सोचते हैं कि जो मेरे चारों तरफ की दुनिया है वह मेरे अकॉर्डिंग चलें।

• पर यह एक Unhealthy ego है जिससे हमारे विचार सिर्फ अपने तक ही सिमट कर रह जाते हैं और आखिरकार सच्चाई धीरे-धीरे हमें नजर आ ही जाती है।

• जिससे disappoint होकर हम अपनी जिंदगी को दोष देने लगते हैं कमजोर लोग भगवान को इन सब का ब्लेम करने लगते हैं।

• स्ट्रांग लोग अपनी गलतियां एक्सेप्ट करते हैं और खुद में सुधार लाने की कोशिश करते हैं साथ ही खुद को सही की तरफ को ले जाने का प्रयास भी करते हैं।

Must Read – सदैव शिकायत करने वाले लोगों से घिरे रहने से हमारे शरीर पर क्या असर होता हैं।

ईगो(Ego)का दिमाग पर क्या असर होता है।

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इगो का काम होता है आपको इंपॉर्टेंट फील कराना और यह धीरे-धीरे अपने आप को साबित करने के लिए लड़ाई झगड़ों में बदल जाती है ईगो वर्तमान में नहीं रहता।

Facts बताते हैं कि ईगो हमेशा आपको past या future के विचारों में उलझाए रखता है मतलब जो पहले आपके साथ गलत हुआ है आप सोचते हैं फ्यूचर में भी ऐसा हो सकता है।

अगर हम नियम के रूप में प्रदर्शित करें तो वह हर समय जब आप खुद को Priority बनाकर सोचते हैं जहां पर आप सेल्फ थिंकिंग करते हैं वह हर Moment आपकी ईगो का मूमेंट है।

ईगो नुकसान भी पहुंचा सकती है?

(अंहकार कैसे हमारे जीवन को प्रभावित करता है)

• आपकी इगो आपको प्रजेंट में किसी मामले में उलझा कर पास्ट फ्यूचर के समय की कड़वाहट को वर्तमान में आपके वर्तमान समय को बर्बाद करती है।

• Imagine करके देखिए कि आप अपनी पूरी जिंदगी पास्ट फ्यूचर के बारे में सोचकर गुजार देते हैं और जब आपकी लाइफ अंत तक पहुंचती है तो आप क्या चाहेंगे आपको सिर्फ वर्तमान जिंदगी चाहिए होगी जिसमें आप अपना ज्यादा से ज्यादा समय इंजॉय कर पाओ।

• इगो होना बुरी बात नहीं है और ना ही अपने आप को महत्व देना गलत बात है प्रॉब्लम जब शुरू होती है जब ego आपके फैसलों पर असर डालती है और मूड को इफेक्ट करती है।

• जहां आप खुद को victim समझ कर अपने लिए इंसाफ (justify) मांगने लगते हैं यह सारी फीलिंग्स आपको दुखी करती हैं और आपकी इगो कभी भी आप को शांत नहीं रहने देती।

• यह आपको जिंदगी को एंजॉय करने से रोकती है और हमेशा आपको याद दिलाती है कि आप प्रॉब्लम में हैं आपकी सिचुएशन को नकारात्मक रूप से आपको दिखाती है।

Types Of Ego/मनोविज्ञान में अहंकार के प्रकार।

मनोविज्ञानिक सिगमंड फ्रायड के अनुसार Ego 3 तरह के होते हैं। ID, Ego, Super ego.

1.इद्म (ID) यह अवचेतन मन का एक हिस्सा होता है जिसमें हमारी इच्छाओं का भंडार रहता है अतृप्त इच्छाओं पर इंसान का काबू नहीं होता। जो ईगो के रूप में हमारी जिंदगी पर असर डालती हैं।

2.ईगो (Ego) – जैसा कि हमने समझा इंसान की इच्छाओं पर व्यक्ति का नियंत्रण नहीं होता। तो इस पर किसका नियंत्रण होगा तो वह है Ego (अहम्) जो हमारी रियल लाइफ से जुड़ा होता है जो हमें सही गलत की पहचान कराता है यह इद्म की गलत इच्छाओं को पूरा करने के लिए एक सिपाही की तरह काम करता है।

3.परम् अहंकार(Super ego) – इसमें आदर्शवादी बातें समझाई जाती हैं यह समाज से जुड़े कार्य को नैतिकता पूर्ण मानता है और आईडी तथा ईगो में एक बैलेंस बनाकर रखता है यह हमें यह समझाता है कि हमें कौन सा काम करना चाहिए तथा कौन सा काम हमारे लिए करना सही नहीं है मतलब यह एक जज का काम करता है।

अहंकार को कम करने के क्या उपाय हो सकते हैं।

(अंहकार कैसे हमारे जीवन को प्रभावित करता है।|How to ego good or bad in hindi)

• दूसरों से शेयर करें।

अगर आपको अपने ईगो को कंट्रोल करना है तो आपको इसके बारे में अपने किसी बड़े से शेयर करना चाहिए लेकिन ऐसा नहीं है कि आप किसी से भी इसे बता दें।

आपको ऐसे व्यक्ति से अपनी इस समस्या को शेयर करना है जो आपके इमोशंस को समझे वरना आपका ईगो कम होने के बजाय बढ़ सकता है।

• छुपाए नहीं।

कहते हैं कि छुपी हुई चीजें बढ़ती है जैसे हम देखते भी हैं लोग अपने धन को छुपा कर रखते हैं किसी से उसके बारे में शेयर नहीं करते क्योंकि यह मानना है कि छुपाने से धन बढ़ेगा।

तो आपको इसी से समझना है अपनी ईगो को छुपा कर नहीं रखना है छुपा हुआ ईगो और आपके अंदर बढ़ता जाएगा। Ego को छुपा कर आप को बढ़ाना नहीं है।

बल्कि किसी समझदार व्यक्ति से अपनी समस्या को शेयर कीजिए उसको बताइए कि आपके अंदर जो इगो है वह किस तरह का है और आप उसे किस तरह कम कर सकते हैं समाधान मांगिए।

• हर चीज का क्रेडिट खुद को ना दे।

अहंकार को कम करने के लिए क्रेडिट लेने की इच्छा को कंट्रोल करें। क्योंकि जो व्यक्ति हर अच्छे काम का क्रेडिट खुद लेना चाहता है चाहे उसके साथ और लोग भी शामिल हो वह ईगो को कम नहीं कर सकता।

इसलिए विनम्र बनकर आप अपने ईगो को नियंत्रित कर पाएंगे उसके लिए अपनी आलोचना करने वाले लोगों के साथ रहिए। इससे आपको अपने दोष समझ आएंगे और आप अपनी बुराइयों को समझ पाएंगे और अपनी बुराइयों को निकाल कर खुद को बेहतर इंसान बना पाएंगे।

• पुस्तक पढ़े।

किताबें पढ़े किताब पढ़ने से हमारे अंदर समझ आती है हम लोगों के विचारों को समझ पाते हैं और खुद को सही और गलत में फर्क करना सिखा पाते हैं।

इसलिए आप बुक पढ़ कर भी अपनी ईगो को कंट्रोल कर सकते हैं उसके लिए ऐसी बुक्स पढ़े। जो आपके लिए प्रेरित करने वाली हो ऐसे लोगों की बुक पढ़नी चाहिए जो सक्सेसफुल हो।

क्योंकि जब आप उनके बारे में पड़ेंगे तो आप पाएंगे कि उनमें कितनी ज्यादा सकारात्मक ईगो है और किस तरह से वह लोगों से व्यवहार करते हैं उनका एटीट्यूड किस तरह का है।

• योगा करें।

व्यायाम या योगाभ्यास करके भी आप ego को नियंत्रित कर सकते हैं जब योगा करते हैं तो शरीर में और दिमाग में सकारात्मक रूप से परिवर्तन होते हैं जिससे हमारे अंदर सकारात्मक भावनाएं पनपती हैं और हम अपनी गलतियों को पहचान पाते हैं दूसरों को समझने की समझ भी हमारे अंदर आती है इसीलिए प्रतिदिन कुछ समय योगाभ्यास जरूर करें।

• खुद को सही समझाएं।

अपने आप को याद दिलाया कि आप चाहे कितने भी बड़े बन जाओ लेकिन सबसे बड़े कभी नहीं बन सकते। इसलिए खुद को अहंकार में ना रख कर अपनी जिंदगी को खुल कर जिओ।

• याद रखें आप परफेक्ट नहीं है।

कोई भी इंसान कितना भी किसी चीज में निपुण है परफेक्ट नहीं हो सकता इसीलिए कभी भी किसी भी काम में परफेक्ट बनने का प्रयास बिल्कुल ना करें।

हमेशा खुद को Best बनाने की कोशिश कीजिए बेस्ट हो सकते हैं हम लोग लेकिन परफेक्ट कभी नहीं हो सकते, किसी भी काम में चाहे वह हमारे लिए बहुत आसान हो या मुश्किल हो हम उस काम में खुद को अपने प्रयासों से बेहतर बना सकते हैं लेकिन बिल्कुल परफेक्ट कभी नहीं हो सकते।

तो हमें अपने मन में हमेशा यह विचार रखने चाहिए कि हम इंसान हैं हमसे भी गलतियां हो सकती हैं हम भी गलत कर सकते हैं हमारे अंदर भी बहुत सारी बुराइयां हैं हमें उनको समझने की जरूरत है।

उनको समझ कर खुद को अच्छा इंसान बनाने के लिए धीरे-धीरे अपनी बुराइयों को कम कैसे करना है इसके बारे में हमें खुद को समझाना चाहिए।

• दूसरों की नहीं खुद की कमियां देखिए।

अगर हम दूसरों की बुराइयां ना देखकर अपनी बुराइयों पर ध्यान दें और उन बुराइयों को निकाल कर अपने अंदर अच्छाइयां भरें तो हमें कभी भी किसी के अंदर कमियां नजर नहीं आएंगी।

दूसरों में कमियां निकाल कर दूसरों की कमियां तो हम दूर करना चाहते हैं लेकिन हमें यह समझ नहीं आता है कि हम दूसरों में कमी निकाल रहे हैं वह भी हमारी एक कमी है और इसीलिए हमारे अंदर कुछ तो कमी है।

किसी भी आदत को बदलना इतना आसान नहीं होता। लेकिन ऐसा कोई काम नहीं है जो प्रयास करने से कामयाब नहीं होता।

इसलिए अपनी अंदर की ego को समझिए क्योंकि ईगो हमारे जीवन का एक हिस्सा है जिसे ना तो हम पूरी तरह से मिटा सकते हैं और ना ही समझ सकते हैं लेकिन अपनी बुरी आदतों को बदलकर खुद को बेहतर बना सकते हैं यह हमारे हाथ में है और हमें यह करना चाहिए।

हमें खुद को याद दिलाते रहना चाहिए कि अगर हमें कुछ बड़ा चाहिए तो अपनी छोटी-छोटी गलतियों को पहचानना होगा खुद को नए रूप में बदलना होगा सपना अगर हमारा है तो पूरा भी हमें करना होगा।

आशा है आपको हमारा यह आर्टिकल

Thankyou for reading.

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